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राज्यपाल से मिले सालखन मुर्मू, सीएनटी-एसपीटी कानून को तोड़ने का जेएमएम पर लगाया आरोप

रांची में पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने राज्यपाल से मिलकर सीएनटी और एसपीटी कानून को तोड़ने का जेएमएम पर आरोप लगाते हुए ज्ञापन सौंपा है. सौंपे गए ज्ञापन में सालखन मुर्मू ने शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं.

Salkhan Murmu submitted Memorandum against JMM to Governor in ranchi
राज्यपाल को ज्ञापन सौंपते पूर्व सांसद

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Published : Mar 31, 2021, 7:31 PM IST

रांचीःपूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार आदिवासी विरोधी सरकार है. उन्होंने कहा कि राज्य में आदिवासी हितों के लिए बना सीएनटी और एसपीटी कानून को तोड़ने की जेएमएम कोशिश कर रही है. राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से राजभवन में मुलाकात कर सालखन मुर्मू ने राज्य में लैंड बैंक और लैंड पूल के नाम पर सीएनटी और एसपीटी कानून को तोड़ने का जेएमएम पर आरोप लगाते हुए ज्ञापन भी सौंपा.

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राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में सालखन मुर्मू ने गुरुजी शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. ज्ञापन में गुरुजी शिबू सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि अब तक झारखंडी हित में एक भी नीतिगत काम नहीं किया गया है, जबकि पांच बार जेएमएम से मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

झारखंडी डोमिसाइल, न्याय पूर्ण आरक्षण नीति, रोजगार नीति, सरना धर्म कोड, संताली प्रथम राजभाषा, बिरसा मुंडा और सिद्धो मुर्मू के वंशजों के लिए दो ट्रस्टों का गठन, रामेश्वर मुर्मू की हत्या की सीबीआई जांच, विस्थापन पलायन पर रोक, टीएसी का गठन, पेसा एक्ट 1996, समता फैसला 1997 और पांचवी अनुसूची लागू करने की मांग करते हुए सालखन मुर्मू ने कहा कि जेएमएम सरकार केवल रूटीन काम करती है जो कोई भी कर सकती है जिसके पास पावर और पैसा अर्थात बजट की राशि होगी वह सत्ता चला लेगा.

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उन्होंने कहा कि सीएनटी एसपीटी कानूनों की धज्जियां उड़ रही है. पहले रघुवर दास की भाजपा सरकार के समय लैंड बैंक बना था और अब हेमंत सोरेन सरकार के समय लैंड पूल के नाम पर पूंजीपतियों को लाभ, लूट, लालच के लिए जमीन बेचने का फैसला लिया जा रहा है जो गलत है, शहीदों का अपमान है. झारखंड के लोगों के साथ यह एक बड़ी धोखेबाजी है. उन्होंने कहा कि महान वीर शहीद बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू मुर्मू के नेतृत्व में अंग्रेजो के खिलाफ हुए भीषण संघर्ष और बलिदान का प्रतिफल सीएनटी-एसपीटी कानून है जो आदिवासी मूलवासी अर्थात झारखंड के लोगों के लिए जमीन की सुरक्षा कवच है मगर सरकार इसे नजरअंदाज कर कानून का उल्लंघन कर रही है.

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