रांचीः झारखंड में दलीय आधार पर मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं कराने के फैसले के बाद अब राज्य सरकार ने मेयर और डिप्टी मेयर के अधिकारों में कटौती कर दी है. बुधवार को झारखंड विधानसभा में झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2021 की मंजूरी मिल जाने के बाद मेयर और डिप्टी मेयर के अधिकारों में कटौती का रास्ता साफ हो गया. इसको लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है. सत्ता पक्ष और विपक्ष इस मुद्दे पर एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
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झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2021 कैबिनेट से पास होने के बाद राज्य सरकार की ओर से इसे मानसून सत्र के दौरान पटल पर लाया गया. जिसकी मंजूरी विधानसभा में मिल गई है. सदन से मंजूरी मिलने के बाद अब राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे लागू कर दिया जाएगा.
बंधु तिर्की और समरीलाल का बयान इस विधेयक में स्पष्ट है कि डिप्टी मेयर या उपाध्यक्ष के निर्वाचन के लिए वोट नहीं डाले जाएंगे. नगर निकाय चुनाव में चयनित होने वाले पार्षद ही अपने में से एक डिप्टी मेयर या उपाध्यक्ष का निर्वाचन करेंगे. इसी तरह महापौर यह अध्यक्ष को हटाने के लिए राज्य सरकार के पास शक्ति होगी. मेयर या अध्यक्ष अगर नगर निगम या परिषद की लगातार तीन बैठकों में बिना कारण बताए अनुपस्थित रहते हैं या फिर जानबूझकर अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें हटाने की प्रक्रिया सरकार शुरू करेगी.
इसके अलावा मेयर या अध्यक्ष मानसिक या शारीरिक तौर पर अक्षम होते हैं या किसी आपराधिक मामले में अभियुक्त होने के चलते 06 माह तक फरार रहते हैं या न्यायालय द्वारा दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. इसी तरह कई ऐसे प्रावधान हैं, जिससे वर्तमान समय में मेयर को मिल रहे अधिकारों में व्यापक रुप से कटौती होगी और मेयर सिर्फ और सिर्फ मूकदर्शक बने रहेंगे.
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मेयर डिप्टी मेयर के अधिकारों में कटौती पर राजनीति शुरू
विधानसभा से झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2021 की मंजूरी मिल जाने के बाद इसपर राजनीति भी शुरू हो गई है. विपक्षी दल बीजेपी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि वर्तमान सरकार को यह लग रहा है कि अधिकांश नगर निकाय क्षेत्र में मेयर या डिप्टी मेयर के पद पर भाजपा का एकाधिकार है, इस वजह से विद्वेष के तहत तुगलकी फरमान जारी कर मेयर के अधिकारों में कटौती की जा रही है. बीजेपी विधायक समरी लाल ने सरकार के इस फैसले को जनविरोधी बताते हुए कहा कि पार्टी इसके खिलाफ आंदोलन की रणनीति बना रही है, साथ ही इसके खिलाफ न्यायालय का भी दरबाजा खटखटाया जाएगा.
इसको लेकर कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा है कि जब सदन में नगरपालिका संशोधन विधेयक लाया गया तो बहस कराने के लिए विपक्ष क्यों नहीं दवाब सरकार पर बनाई. उन्होंने कहा कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास रखनी चाहिए थी, मगर ऐसा नहीं हुआ क्योंकि एक बार कानून बन जाता है तो उसमें अगर अशुद्धियां रह जाती है तो कहीं ना कहीं इसका प्रभाव सरकार पर ही पड़ता है. सदन में विपक्ष मौन रही और ना तो इसपर बहस करा पाई और ना ही इसे सेलेक्ट कमिटी के पास ही भेजने में सफल हो पाई. अब बिल पास हो गया है तो हाय-तौबा मच रहे हैं.