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झारखंड: कोल ब्लॉक आवंटन में गड़बड़ी के मामले में 3 को सश्रम कैद - White collar

कोर्ट ने पवन जय स्टील एंड पावर लिमिटेड पर अलग-अलग अपराधों के लिए 75 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. जबकि कंपनी के दोनों निदेशकों पर अलग-अलग अपराधों के लिए 40-40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने कहा है कि जुर्माने की रकम जमा नहीं करने पर सजा एक साल और बढ़ा दी जाएगी.

कोल ब्लॉक आवंटन में गड़बड़ी का मामला

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Published : Nov 15, 2019, 10:38 AM IST

नई दिल्ली:राऊज एवेन्यू कोर्ट ने झारखंड के नॉर्थ धांधू कोल ब्लॉक में आवंटन में गड़बड़ी मामले में फैसला सुनाया है. इस फैसले में कोर्ट ने तीन लोगों को दोषी करार देते हुए उन्हें अलग-अलग सजा सुनाई है. स्पेशल जज भरत पराशर ने पवन जय स्टील एंड पावर लिमिटेड के दो निदेशकों ज्ञानचंद प्रसाद अग्रवाल और उमेश प्रसाद अग्रवाल को तीन साल सश्रम कैद की सजा सुनाई है. जबकि हरि मशीन्स लिमिटेड के चीफ मैनेजर, मार्केटिंग एस के कानूनगो को दो साल सश्रम कैद की सजा सुनाई है.

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कंपनी और निवेशकों को सुनाई सजा
कोर्ट ने पवन जय स्टील एंड पावर लिमिटेड पर अलग-अलग अपराधों के लिए 75 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. जबकि कंपनी के दोनों निदेशकों पर अलग-अलग अपराधों के लिए 40-40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने कहा है कि जुर्माने की रकम जमा नहीं करने पर सजा एक साल और बढ़ा दी जाएगी.

कोर्ट ने हरि मशीन्स लिमिटेड के चीफ मैनेजर, मार्केटिंग एस के कानूनगो पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने कहा कि जुर्माने की रकम जमा नहीं करने पर कानूनगो की सजा छह महीने और बढ़ जाएगी. सजा सुनाए जाने के बाद तीनों दोषी व्यक्तियों और दोषी कंपनी की ओर से इस फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए जमानत देने की मांग की गई. जिसके बाद कोर्ट ने तीनों को जमानत दे दी.

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ये है पूरा मामला
मामला 2004 का है. झारखंड के लोहरदगा जिले में 'स्पांज आयरन प्लांट एंड कैप्टिव कोल ब्लॉक' के आवंटन के लिए इन दोषियों ने स्क्रीनिंग कमेटी के सामने गलत तथ्य पेश किए. दोषियों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने भी गलत तथ्य पेश किए. इन दोषियों ने गलत तथ्यों के बिनाह पर कोल ब्लॉक हासिल किया था.

'व्हाइट कॉलर वालों ने किया अपराध'
कोर्ट ने कहा कि समाज के उच्च वर्ग के लोगों की ओर से इस अपराध को अंजाम दिया गया. कोर्ट ने इसे व्हाईट कॉलर क्राइम की संज्ञा देते हुए कहा कि यह समाज के आम अपराध से ज्यादा नुकसानदेह है. पहले तो यह आर्थिक नुकसान करता है. दूसरा, यह समाज की नैतिकता को पतन की ओर ले जाता है. कोर्ट ने दोषियों के वकील की उस दलील को खारिज कर दिया कि कोई नुकसान नहीं हआ है, क्योंकि वहां कोयले का कोई उत्पादन नहीं हुआ था.

कोर्ट ने कहा कि कोयले का उत्पादन नहीं होना ही बड़ा नुकसान है. कोयले का उत्पादन नहीं होने से देश के विकास में काफी नुकसान हआ.

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