रांची: वैश्विक महामारी कोरोना ने एक तरह से अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी है. इस वायरस के संक्रमण के भय की वजह से उद्योग धंधे और व्यापार भी प्रभावित है. कृषि पर भी खासा असर देखने को मिल रहा है. ऐसे में उन लोगों का भी बुरा हाल है, जिनकी आमदनी का मुख्य स्रोत फल और फूल है. दरअसल, मार्च के मध्य महीने से शुरू हुए कोरोना के कहर ने शहर में फूलों का उत्पादन करने वाले किसानों की कमर भी तोड़ दी है. एक तरफ जहां ऐसी स्थिति में शादी-ब्याह समेत मांगलिक कार्यक्रम न के बराबर आयोजित हो रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ सभाएं गोष्ठियों में भी प्रतिबंध लगा हुआ है. ऐसी स्थिति में इसका अप्रत्यक्ष मार फूलों का उत्पादन करने वाले झेल रहे हैं.
लग्न में नहीं हुई डिमांड, अब कोई खरीदार तक नहीं
एक अनुमान के अनुसार, राजधानी में डेढ़ सौ से अधिक ऐसे फूल के विक्रेता हैं, जो इन फूल उत्पादकों से उनके उत्पाद खरीदते हैं. उसके अलावे यहां से फूल उत्पादक अन्य जिलों में भी अपना उत्पाद भेजते हैं. कोरोना की वजह से अब इन फूल उत्पादकों को खरीदार नहीं मिल रहे हैं. इतना ही नहीं, गाड़ियों के आवागमन ठप होने से यह अपने उत्पाद बाहर के बाजारों में भी नहीं भेज पा रहे हैं. नतीजा यह है कि 4 से 6 महीने की मेहनत से तैयार हुई फसल उन्हें यूं ही काट कर कूड़े में फेंक देनी पड़ रही है. इनके अनुसार, इन्हें दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है. एक तरफ उत्पादन में लागत मूल्य लगा दूसरी तरफ अब इन फूलों को कटवा कर उन्हें फिकवाना पड़ रहा है.
क्या कहते हैं फूलों के उत्पादक