रांची: कोरोना संक्रमण के मामले में झारखंड की राजधानी रांची को रेड जोन में रखा गया है. राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के ट्रॉमा सेंटर को कोविड-19 अस्पताल के रूप में विकसित किया गया है. यहां रांची और आसपास के जिलों के कई संक्रमित मरीज इलाजरत हैं. इस बीमारी के इलाज और बचाव के तौर तरीके को लेकर आम लोगों के मन में कई सवाल हैं, जिसे रिम्स के निदेशक डॉ. डीके सिंह की जुबानी जानने की कोशिश की हमारे वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने.
संक्रमित मरीजों की दवाई
संक्रमित मरीजों को कौन सी दवाई दी जाती है. इस सवाल के जवाब में रिम्स के निदेशक डॉ. डीके सिंह ने कहा कि विश्व स्तर पर अभी तक इस बीमारी की कोई दवा नहीं बनी है. लिहाजा, मरीज के लक्षण को देखते हुए इलाज किया जाता है, जो आईसीएमआर के गाइडलाइन पर आधारित है. उन्होंने कहा कि फिलहाल कोरोना मरीजों को मलेरिया के लिए मशहूर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा दी जा रही है. इसके साथ में विटामिन सी और विटामिन डी दी जाती है. इससे पहले एजिथ्रोमाइसीन भी दी जा रही थी, लेकिन उसके कुछ साइड इफेक्ट देखने को मिले तब से उसे देना बंद कर दिया गया.
झारखंड मलेरिया बेल्ट
रिम्स निदेशक ने कहा कि झारखंड मलेरिया बेल्ट है और यहां लोग हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन खा चुके होते हैं. इसलिए इसे देने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है. इसके अलावा मरीजों के खानपान का विशेष ध्यान रखा जाता है. बाद में मरीजों में जब कुछ लक्षण डेवलप होता है तो उस हिसाब से इलाज किया जाता है. कुछ देशों में कुछ नए मामले आए हैं. इसमें मरीजों के शरीर में ब्लड क्लोटिंग भी हो रही है. इन तमाम बातों का ध्यान रखा जाता है.
डॉ. डीके सिंह ने कहा कि सभी हेल्थ केयर स्टाफ को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा दी जा चुकी है. जहां तक पैथ लैब के एक टेक्नीशियन के संक्रमण की बात है तो इस बात की पड़ताल की जाएगी कि क्या उन्होंने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा ली थी या नहीं.