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झारखंड में कोरोना मरीजों को दी जा रही कौन सी दवा, रिम्स निदेशक से EXCLUSIVE बातचीत

राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के ट्रॉमा सेंटर को कोविड-19 अस्पताल के रूप में विकसित किया गया है. यहां रांची और आसपास के जिलों के कई संक्रमित मरीज इलाजरत हैं. कोरोना को लेकर हमारे वरिष्ठ सहयोगी ने रिम्स निदेशक डीके सिंह से बात की.

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Published : May 5, 2020, 6:41 PM IST

rims director dk singh on corona
रिम्स निदेशक

रांची: कोरोना संक्रमण के मामले में झारखंड की राजधानी रांची को रेड जोन में रखा गया है. राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के ट्रॉमा सेंटर को कोविड-19 अस्पताल के रूप में विकसित किया गया है. यहां रांची और आसपास के जिलों के कई संक्रमित मरीज इलाजरत हैं. इस बीमारी के इलाज और बचाव के तौर तरीके को लेकर आम लोगों के मन में कई सवाल हैं, जिसे रिम्स के निदेशक डॉ. डीके सिंह की जुबानी जानने की कोशिश की हमारे वरिष्ठ सहयोगी राजेश कुमार सिंह ने.

रिम्स निदेशक डीके सिंह से खास बातचीत

संक्रमित मरीजों की दवाई

संक्रमित मरीजों को कौन सी दवाई दी जाती है. इस सवाल के जवाब में रिम्स के निदेशक डॉ. डीके सिंह ने कहा कि विश्व स्तर पर अभी तक इस बीमारी की कोई दवा नहीं बनी है. लिहाजा, मरीज के लक्षण को देखते हुए इलाज किया जाता है, जो आईसीएमआर के गाइडलाइन पर आधारित है. उन्होंने कहा कि फिलहाल कोरोना मरीजों को मलेरिया के लिए मशहूर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा दी जा रही है. इसके साथ में विटामिन सी और विटामिन डी दी जाती है. इससे पहले एजिथ्रोमाइसीन भी दी जा रही थी, लेकिन उसके कुछ साइड इफेक्ट देखने को मिले तब से उसे देना बंद कर दिया गया.

रिम्स निदेशक डीके सिंह से खास बातचीत

झारखंड मलेरिया बेल्ट

रिम्स निदेशक ने कहा कि झारखंड मलेरिया बेल्ट है और यहां लोग हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन खा चुके होते हैं. इसलिए इसे देने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है. इसके अलावा मरीजों के खानपान का विशेष ध्यान रखा जाता है. बाद में मरीजों में जब कुछ लक्षण डेवलप होता है तो उस हिसाब से इलाज किया जाता है. कुछ देशों में कुछ नए मामले आए हैं. इसमें मरीजों के शरीर में ब्लड क्लोटिंग भी हो रही है. इन तमाम बातों का ध्यान रखा जाता है.

डॉ. डीके सिंह ने कहा कि सभी हेल्थ केयर स्टाफ को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा दी जा चुकी है. जहां तक पैथ लैब के एक टेक्नीशियन के संक्रमण की बात है तो इस बात की पड़ताल की जाएगी कि क्या उन्होंने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा ली थी या नहीं.

15 मई के आसपास पिक पर होगा संक्रमण

कुछ यूनिवर्सिटी के रिसर्च का हवाला देते हुए डॉ. डीके सिंह ने कहा कि यह बात सामने आई है कि भारत में 15 मई के आसपास इसका संक्रमण पिक पर होगा. हालांकि, हम उसका इंतजार नहीं कर रहे हैं. तमाम सावधानियां बरती जा रही हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई मरीज ब्लड, शुगर, हार्ट, लिवर या किडनी की बीमारी से ग्रसित है और वह संक्रमित होता है तो उसके लिए चुनौती बढ़ जाती है.

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लॉकडाउन में रियायत नहीं देना अच्छा फैसला

डॉ. डीके सिंह ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के उस फैसले की तारीफ की, जिसके तहत झारखंड में लॉकडाउन-3 के दौरान किसी भी तरह की रियायत नहीं देने की बात कही गई है. उन्होंने पंजाब में नांदेड़ से आए श्रद्धालुओं में फैले संक्रमण का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि कई संक्रमित राज्यों से हमारे मजदूर भाई आ रहे हैं. उन्हें लाना भी जरूरी है. दूसरी तरफ यह भी बात सही है कि उनके आने से संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है. इसलिए सभी प्रवासियों को उनको रेंटिंग में रखा जा रहा है ताकि उनकी मॉनिटरिंग की जा सके.

डॉ डीके सिंह ने कहा कि 10 साल से कम उम्र के बच्चे और 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग को घर से बाहर निकलना बिल्कुल सही नहीं है. उन्होंने कहा कि अक्सर यह सुनने को मिलता है कि सब्जी खरीदने के लिए बुजुर्ग भी बाजार पहुंच रहे हैं. इसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने आग्रह किया कि इससे बचना जरूरी है क्योंकि यह उनके लिए घातक हो सकता है.

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