रांची: राज्य में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ाने की कवायद तेज हो गई है. इसको लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को झारखंड मंत्रालय में उद्योग विभाग के कामकाज की समीक्षा की. बैठक में लघु, कुटीर और ग्रामोद्योगों पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का फोकस रहा. मुख्यमंत्री ने फूड प्रोसेसिंग समेत कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नए सिरे से स्ट्रैटजी बनाने के अफसरों को निर्देश दिए. सिंगल विंडो सिस्टम अपनाने के लिए भी कहा. मुख्यमंत्री ने झारखंड के गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को बाजार न मिलने पर चिंता जताई और स्थिति बदलने के लिए कारगर कदम उठाने के निर्देश दिए. इस मौके पर झारखंड में उद्योगों के विकास के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी मुख्यमंत्री को दी गई. इस पर मुख्यमंत्री ने झारखंड में नए उद्योगों को लगाने के लिए संभावनाओं का आकलन करने और प्रदेश के उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए रिसर्च और डिजाइन टीम का गठन करने के निर्देश दिए.
ये भी पढ़ें:नई औद्योगिक नीति को मंजूरी, 6 प्रस्तावों पर लगी मुहर
कृषि आधारित उद्योगों के लिए निवेशकों की परेशानी दूर करने निर्देश
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में कृषि आधारित उद्योगों खासकर फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. यहां भी निवेश को बढ़ावा देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यहां भी सिंगल विंडो सिस्टम को कारगर तरीके से लागू किया जाए, ताकि यहां आने के लिए निवेशक आकर्षित हो सकें. झारक्राफ्ट इस राज्य की पहचान है. झारक्राफ्ट के उत्पादों की क्वालिटी अच्छी होने के साथ उसकी मांग भी बहुत है. लेकिन, उस हिसाब से झारक्राफ्ट को बाजार नहीं मिल रहा है.ः
लाह और तसर के विकास के लिए रिसर्च और डिजाइन टीम का होगा गठन
मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि झारक्राफ्ट को प्रोफेशनल तरीके से संचालित करने की जरूरत है. इसके उत्पादों के लिए विशेषज्ञों की टीम के साथ मार्केट स्ट्रैटजी को नए सिरे से बनाएं, ताकि झारक्राफ्ट के उत्पादों को बाजार मिल सके. उन्होंने यह भी कहा कि झारक्राफ्ट से जुड़े कारीगरों की वर्किंग कंडीशन को बेहतर बनाया जाए. उनकी मैपिंग करने के साथ उन्हें मार्केट स्ट्रैटजी की जानकारी भी दें. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में लाह और तसर समेत कई अन्य उद्योगों के लिए काफी संभावनाएं हैं, लेकिन इनका अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है. ऐसे में उद्योगों के लिए यहां क्या संभावनाएं हैं उन्हें किस तरीके से स्थापित किया जा सकता है. इसका विभाग आकलन करे. इस दिशा में रिसर्च एंड डिजाइन टीम का गठन करें, ताकि बेहतर परिणाम सामने आ सकें.