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Published : May 30, 2020, 5:30 PM IST

Updated : May 31, 2020, 10:55 AM IST

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शराब की बिक्री से रेवेन्यू कलेक्शन पर लग सकता है ग्रहण, दस दिनों में 70 प्रतिशत तक गिरी सेल

लॉकडाउन के दौरान झारखंड सरकार ने रेवेन्यू के लिए शराब की दुकानें खुलवा दी है. लेकिन 10 दिनों में ही राज्यभर में शराब की बिक्री 30 से 40 प्रतिशत तक ही हो पा रही है. ऐसे में शराब व्यापारियों का कहना है कि टैक्स में उन्हें भी हिस्सेदारी देना चाहिए.

Revenue collection due to sale of liquor
शराब की बिक्री से रेवेन्यू कलेक्शन

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनजर लगे लॉकडाउन-4 में शराब की दुकानें खोलकर राज्य सरकार ने एक्साइज डिपार्टमेंट के मार्फत रेवेन्यू कलेक्शन की कवायद शुरू कर दी है. हैरत की बात यह है कि 10 दिनों में राज्यभर में शराब की बिक्री 30 से 40% तक की हो रही है. आंकड़ों के अनुसार देखें तो कोरोना महामारी के पहले राज्य भर में 1 दिन में लगभग 9 करोड़ रुपए तक की सेल होती थी, लेकिन अब यह तीन से चार करोड़ के भीतर ही सिमट कर रह गई है.

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एक्साइज डिपार्टमेंट को राज्य सरकार के एक मजबूत सोर्स के रूप में जाना जाता है. शराब व्यापारियों से सरकार लगभग 1600 करोड़ रुपए सालाना वसूलती है. लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष में 2 महीने में दुकानें बंद रहने की वजह से व्यापारियों को भी भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

रेवेन्यू कलेक्शन है मकसद

हालांकि, राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि रेवेन्यू कलेक्शन को लेकर वह गंभीर है. इसी वजह से एक्साइज डिपार्टमेंट ने उत्पाद पर 50 से 75% रेट बढ़ा दिया है. वहीं 10% स्पेशल टैक्स में लिया जा रहा है. हालांकि इस वजह से शराब की कीमतों में 20 से 25% की वृद्धि हुई है. लेकिन सरकार के खजाने में इससे 300 करोड़ रुपए अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है.

बढ़े टैक्स में सरकार व्यापारियों का भी रखे ख्याल

व्यापारियों का साफ कहना है कि इस बढ़े टैक्स से उन्हें कोई लाभ नहीं मिलनेवाला है. उन्होंने कहा कि बढ़े टैक्स का पैसा सीधे सरकारी खजाने में जाएगा और माध्यम वह बनेंगे. इस बाबत झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ के सचिव सुबोध जायसवाल का मानना है कि राज्य सरकार को उस टैक्स में व्यापारियों को भी हिस्सेदारी देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर स्पेशल टैक्स का 3 परसेंट भी व्यापारियों को मिले तो उससे उनके घाटे की भरपाई हो सकेगी.

उन्होंने कहा कि 2 महीने दुकानें बंद रही इस वजह से उनका रेकरिंग एक्सपेंडिचर हुआ है. ऐसे में राज्य सरकार को अपनी तरफ से कुछ रियायत देनी चाहिए.

टाइमिंग में मिले थोड़ी रियायत

उन्होंने कहा कि दूसरी सबसे बड़ी समस्या दुकानों के खोलने को लेकर है. सुबह 7 बजे से शाम के 7 बजे तक का समय व्यवहारिक नहीं है. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि अभी मार्केट में 30 से 40% ही बिक्री हो पा रही है. उन्होंने कहा कि इस बाबत राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि 1 जून के बाद थोड़ी रियायत मिल सकती है. राजधानी के किशोरगंज चौक पर दुकान चलाने वाले मंटू सिंह ने कहा कि सुबह 7 बजे से लेकर 11 बजे तक महज तीन से चार लोग आए हैं खरीदारी करने. ऐसे में दुकान का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो जाता है.

झारखंड में उतरता है दूसरे स्टेट का भी स्टॉक

इतना ही नहीं दूसरे राज्यों के लिए जानेवाली शराब की गाड़ियों की झारखंड में गलत तरीके से अनलोडिंग को लेकर संघ ने आपत्ति जताई है. संघ के सचिव ने कहा कि इसके पीछे एक बड़ा रैकेट है. जो अरुणाचल प्रदेश और अन्य प्रदेशों में जाने वाले शराब की पेटियों की अनलोडिंग झारखंड में ही कर लेता है. ऐसा ही एक मामला पिछले दिनों लोहरदगा में भी आया था.

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उन्होंने कहा कि इसमें कहीं ना कहीं जिला स्तर पर तैनात उत्पाद विभाग के कर्मियों की भी मिलीभगत होती है. हालांकि उन्होंने कहा कि इसकी जांच चल रही है. अगर इस तरीके से इस लीकेज पर प्रतिबंध लगे तो व्यापारियों के हितों की रक्षा हो सकेगी. साथ ही राज्य सरकार को होनेवाले टैक्स के नुकसान को भी रोका जा सकेगा.

तीन तरह की है व्यवस्था

शराब बिक्री को लेकर राज्य के अंदर तीन तरह की व्यवस्था की गई है. पहली व्यवस्था के तहत राज्य के 9 जिलों में होम डिलीवरी और काउंटर सेल की व्यवस्था होगी. वहीं दूसरी व्यवस्था के तहत बाकी के 15 जिलों में ई-टोकन और काउंटर सेल के जरिए बिक्री होगी. वहीं तीसरी व्यवस्था के तहत ग्रामीण इलाकों में काउंटर से सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन कर बिक्री होनी है. बता दें कि राज्य में कुल 1595 शराब की दुकाने हैं जिनमे राजधानी में 114 दुकान है.

Last Updated : May 31, 2020, 10:55 AM IST

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