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झारखंड पुलिस के जवानों के लिए उपलब्ध हुआ आरक्षित श्रेणी का बर्थ, असम में 23 इको कंपनियों की तैनाती - झारखंड पुलिस के जवान

झारखंड पुलिस के जवानों के लिए आरक्षित श्रेणी का बर्थ उपलब्ध हो गया है. असम में होने वाले विधानसभा चुनाव में जवानों को स्लीपर बोगी में भेजा गया. असम में 23 इको कंपनियों की तैनाती की गई.

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झारखंड पुलिस के जवान

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Published : Mar 19, 2021, 10:35 AM IST

रांची: पश्चिम बंगाल और असम में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान झारखंड के जवानों को भी चुनाव ड्यूटी में लगाया जा रहा है. राज्य पुलिस के जवानों को भेजने के लिए आरक्षित श्रेणी का बर्थ लगाने की मांग झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के तरफ से की गई थी, जिसे मान लिया गया है. झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा की पहल पर असम में होने वाले विधानसभा चुनाव में जवानों को स्लीपर बोगी में भेजा गया.

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सीआरपीएफ का हवाला देकर लिखा था पत्र
झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन ने डीजीपी नीरज सिन्हा को पत्र लिख कर गुहार लगाई थी कि झारखंड पुलिस के जवान दूसरे राज्यों में चुनाव ड्यूटी में भेजे जाते थे, तो उस समय उनके लिए जरनल बोगी लगायी जाती थी, जो जवानों के संख्या के अनुरूप नहीं होता था. ऐसे में जवानों को फर्श पर सोना पड़ता था.

आरक्षित बर्थ की बोगी लगाने की मांग

मेंस एसोसिएशन ने डीजीपी को लिखे पत्र में बताया है कि चुनाव कार्य के लिए ही झारखंड पुलिस के साथ जाने वाले सीआरपीएफ जवानों के लिए स्लीपर बोगी लगायी जाती है. ऐसे में झारखंड पुलिस के जवानों को भारी कठिनाईयों से जुझना पड़ता है. एक ही साथ जाने वाले जवानों के मनोबल पर भी इसका प्रतिकुल असर पड़ता है. ऐसे में एसोसिएशन ने मांग की थी कि बाहरी राज्यों में चुनाव में जाने वाले पुलिसकर्मियों के लिए भी आरक्षित बर्थ की बोगी लगायी जाए.

चुनाव कार्य में भेजी गई 23 इको कंपनी
झारखंड आर्म्स फोर्स और आईआरबी बटालियन की 23 इको कंपनियों की असम राज्य विधानसभा चुनाव में तैनाती की गई है. चुनाव कार्य कराने के लिए असम में झारखंड पुलिस के 1,564 सिपाही, हवलदारों को बाहर यहां से भेजा गया है. राज्य पुलिस मेंस एसोसिएशन ने डीजीपी और जैप एडीजी से मांग की है कि असम में चुनाव ड्यूटी में जाने वाले जवानों को पांच हजार की दर से अग्रिम भोज्य भत्ता भी दें. मेंस एसोसिएशन का तर्क है कि बाहर जाने पर जवानों को आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में उन्हें अग्रिम भोज्य भत्ता दी जाए. इसके लिए कमांडेंट स्तर के अधिकारियों को निर्देश देने की मांग मेंस एसोसिएशन ने की है.

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