रांचीः अपनी मांगों के समर्थन में पिछले 32 दिनों से आंदोलन कर रहे सहायक पुलिस कर्मियों का साथ अब उनके परिजन भी दे रहे हैं. एक तरफ रांची के मोरहाबादी मैदान में 2200 सहायक पुलिसकर्मी आंदोलन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जिला मुख्यालयों में उनके परिजन और साथी भी धरना दे रहे हैं.
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जिला मुख्यालय में परिजन दे रहे धरना
झारखंड के सहायक पुलिस कर्मियों के समर्थन में उनके मित्र और परिजन भी आ गए हैं. गुरुवार को झारखंड के सभी 12 जिला मुख्यालय में सहायक पुलिस कर्मियों के समर्थन में उनके परिजनों और मित्रों ने धरना के साथ-साथ सड़कों पर प्रदर्शन किया. कई जिला मुख्यालय में सहायक पुलिसकर्मियों के परिजनों को धरने पर बैठने से भी रोक दिया गया. हालांकि बाकी जगहों पर सहायक पुलिस कर्मियों के समर्थन में जो लोग भी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, सभी जगह शांतिपूर्ण चल रहा है.
इधर मोरहाबादी मैदान में भी कड़ी धूप के बावजूद एकसाथ सभी सहायक पुलिसकर्मी मैदान पर धरना पर बैठे हुए हैं. सहायक पुलिसकर्मियों के अनुसार जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है, तब तक वे शांतिपूर्ण तरीके से मोरहाबादी मैदान में आंदोलन करते रहेंगे. सहायक पुलिसकर्मियों के अनुसार अगर जल्द ही सरकार उनकी बातें नहीं मानती है तो उनके मित्र और परिजन भी रांची पहुंचकर मोरहाबादी मैदान में धरना में शामिल हो जाएंगे. उस दौरान मोरहाबादी मैदान में पैर रखने की भी जगह नहीं मिलेगी.
आंदोलन जारी रहेगा
सहायक पुलिसकर्मी 32 दिनों से मोरहाबादी मैदान में अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं. मोरहाबादी मैदान में उन्हें जिला प्रशासन की ओर से बुनियादी सुविधा भी नहीं मुहैया कराई गई है. मौसम की भी दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. वर्ष 2017 में गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अधिसूचना के आधार पर 12 अतिनक्सल प्रभावित जिलों के लिए कुल 2500 झारखंड सहायक पुलिस की नियुक्ति अनुबंध के आधार पर की गई थी. इसके एवज में 10000 रुपये प्रतिमाह वेतन निर्धारित किया गया था. साथ ही नियुक्ति के समय कहा गया था कि 3 वर्ष पूरे होने के बाद झारखंड पुलिस के पद पर सीधी नियुक्ति की जाएगी. लेकिन अब तक इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाया गया है. ऐसे में झारखंड सहायक पुलिस के लगभग 2200 सौ कर्मी, 12 जिलों से इस आंदोलन में शामिल हुए हैं.
इन जिलों में गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा, दुमका, लोहरदगा, गिरिडीह, चाईबासा, जमशेदपुर, खूंटी, सिमडेगा और गुमला के सहायक पुलिसकर्मी शामिल हैं. सहायक पुलिस कर्मियों का आरोप है कि सरकार अब उनकी बातों को अनसुनी कर रही है. लेकिन चाहे कितनी भी कठिनाइयां क्यों ना आए वह आंदोलन तब तक करेंगे जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती.