रांची: झारखंड राजभवन और मेन रोड स्थित प्राचीन दक्षिणा काली मंदिर का नाता काफी पुराना है. जब तक राजभवन उद्यान के फूल मां काली पर अर्पण नहीं किए जाते हैं, तब तक मां प्रसन्न नहीं होती हैं. ऐसा माना जाता है कि इस उद्यान में किसी भी तरह की विपत्ति अब तक नहीं आई है. क्योंकि इस उद्यान में कार्यरत मजदूरों और कर्मचारियों पर मां काली का आशीर्वाद है.
अंग्रेजों के समय से चली आ रही है परंपरा, राजभवन के फूल से ही शुरू होती है इस काली मंदिर में पूजा - jharkhand news
झारखंड राजभवन और मेन रोड स्थित प्राचीन दक्षिणा काली मंदिर का नाता काफी पुराना है. मान्यता है कि जब तक राजभवन उद्यान के फूल मां काली पर अर्पण नहीं किए जाते तब तक मां प्रसन्न नहीं होती हैं. ऐसा माना जाता है कि इस उद्यान में किसी भी तरह की विपत्ति अब तक नहीं आई है, क्योंकि यहां काम करने वाले मजदूरों और कर्मचारियों पर मां काली का आशीर्वाद है.
1947 से ही राजभवन से रांची के मेन रोड स्थित प्राचीन विख्यात काली मंदिर में फूल भेजे जाने की परंपरा शुरू हुई थी. ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान राजभवन उद्यान इतना सुंदर नहीं था बल्कि यहां जंगल और झाड़ हुआ करता था. जंगली जानवरों के अलावा विषैले सांप भी यहां विचरण करते थे.
इन्हीं सब जंगली जानवरों से बचने के लिए यहां के माली द्वारा काली मंदिर में फूलों की माला भेजा जाने लगा और यह परंपरा आज भी बदस्तूर जारी है. राजभवन के फूल चढ़ाए जाने के बाद ही अन्य श्रद्धालु यहां फूल चढ़ा सकते हैं. 5 फरवरी से 19 फरवरी तक राजभवन का उद्यान आम लोगों के लिए खोला गया है. अब तक 3 दिनों में 30 हजार से अधिक लोगों ने इस उद्यान का दीदार किया है.