रांची: चुनाव आयोग के निर्देश के बाद झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले फरार चल रहे वारंटियों को गिरफ्तार कर उन्हें कोर्ट में पेश करना है. लेकिन फरार चल रहे वारंटी का सही पता नहीं मिलने की वजह से पुलिस खासी परेशान है. झारखंड में 328 लाल वारंटी हैं जिनको गिरफ्तार करने के लिए पुलिस परेशान है.
क्या होता है लाल वारंट
कोर्ट से किसी भी मामले में वारंट जारी होता है इसमें आरोपी का जो पता अदालत में दिया जाता है उसी पते पर वारंट का तामिला करवाया जाता है. लेकिन आमतौर पर आरोपी का जो पता अदालत में दिया होता है वह नहीं रहता और इसकी जानकारी न तो कोर्ट को और न ही थाने को मिलती है. उसके बाद वह अदालत में आरोपी हाजिरी लगाना भी बंद कर देता है तो उसका वारंट जारी होता है. पहले विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद आखिर में अदालत लाल वारंट जारी कर देती है. जिस व्यक्ति का लाल वारंट जारी होता है सामान्य तौर पर उसका मामला छोटा हो तब भी उसे जेल जाना पड़ता है.
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चुनाव के घोषणा से लेकर अब तक 5,713 गिरफ्तार
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता एडीजी अभियान मुरारी लाल मीणा ने बताया कि चुनाव आयोग के निर्देश पर राज्य भर में फरार वारंटियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार काम कर रही है. विधानसभा चुनाव के पहले फरार वारंटियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करना है.
42 फीसदी वारंटी अभी भी फरार
एडीजी के अनुसार, झारखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से अब तक 5, 713 वारंटियों को कोर्ट में पेश किया जा चुका है. एडीजी के अनुसार फिलहाल झारखंड के विभिन्न जिलों से 328 वारंट अभी भी लंबित हैं. पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक 15 सितंबर 2019 तक कुल वारंटियों की संख्या 31, 940 थी. पुलिस ने अभियान चलाकर राज्यभर में 58 फीसदी वारंट इंप्लीमेंट कराया है. हालांकि 42 फीसदी वारंटी अभी भी फरार चल रहे हैं.