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रियलिटी चेक: ईटीवी भारत के कैमरे में कैद हुई क्वॉरेंटाइन सेंटर्स की हकीकत, देखिए कैसे रहते हैं बेबस मजदूर - Government spending Quarantine centres

झारखंड में क्वारेंटाइन सेंटर्स पर मिल रही अव्यवस्थाओं को लेकर ईटीवी भारत ने सूबे के कई सेंटर्स का रियलिटी चेक किया. इसमें ज्यादातर क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में फैली अव्यवस्था ईटीवी भारत के कैमरे में कैद हो गईं. यहां मजदूरों को न तो सही खाना मिल रहा है और न पीने का पानी. इन सेंटर्स पर खुलेआम WHO के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

reality check of quarantine center in jharkhand
ईटीवी भारत के कैमरों में कैद हुईं क्वारंटीन सेंटर्स की जमीनी हकीकत

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Published : May 30, 2020, 1:07 PM IST

Updated : May 30, 2020, 3:04 PM IST

रांचीः कोरोना ने लोगों को जीवन का वो वक्त भी दिखा दिया जिसकी कल्पना भी उन्होंने कभी नहीं की होगी. दूसरे राज्य से अपने राज्य लौटे प्रवासी मेहनतकश मजदूरों के हालात तो और भी खराब हैं. हालात ये हैं कि क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में इन्हें भेड़ बकरियों की तरह रखा गया है. मजदूरों को न तो सही खाना मिल रहा है और न पीने का पानी.

ईटीवी भारत के कैमरों में कैद हुईं क्वारंटीन सेंटर्स की जमीनी हकीकत

इन सब खामियों की मिल रही शिकायत को लेकर हमारी टीम ने राज्य के अलग-हिस्सों में बनाये गये क्वॉरेंटाइन सेंटर्स का जायजा लिया. इन सेंटर्स की पड़ताल में क्या कुछ निकल कर सामने आया, आइये आपको सिलसिलेवार बताते हैं.

झारखंड के क्वारंटाइन सेंटर्स पर नियमों की अवहेलना

चतरा के राजीव गांधी सेवा केंद्र में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में सबसे पहले हमारी नजर नाराज लोगों पर पड़ी, जो व्यवस्थाओं को लेकर सरकार और शासन से सवाल कर रहे थे. इसके बाद हमारी टीम ने यहां के रसोईघर का रुख किया. यहां जो हमें दिखाई दिया वो हमारी नजर में तो शायद खाना नहीं था. यहां जो प्रवासी मजदूरों को खाना परोसा जा रहा था उसमें कीड़े मिले.

झारखंड के क्वारंटाइन सेंटर्स पर नियमों की अवहेलना

इसके बाद हमारी टीम ने देवघर में बने चुलिया हाई स्कूल क्वॉरेंटाइन सेंटर का रुख किया. यहां भी हालात कुछ खास नहीं मिले. इस सेंटर में लाइट गायब थी, लोग बिना पंखे के पसीने में दिन काटने को मजबूर दिखे. यहां मजदूर अपनी जिंदगी में पड़े अंधकार को घर से लालटेन मंगाकर दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. क्वॉरेंटाइन सेंटर में मजदूरों को सोने के लिए बिस्तर नहीं दिया गया. सफाई के नाम पर हर जगह सिर्फ गंदगी ही नजर आई.

झारखंड के क्वारंटाइन सेंटर्स पर नियमों की अवहेलना

वहीं, गढ़वा का क्वॉरेंटाइन सेंटर मध्य विद्यालय कोरवाडीह पहली ही नजर में अव्यवस्थाओं का गढ़ नजर आया. यहां की रसोई घर पर ताला लटका मिला. सभी प्रवासियों के लिए एक ही कॉमन बाथरूम बनाया गया है. जो नियमों के खिलाफ है.

झारखंड के क्वारंटाइन सेंटर्स पर नियमों की अवहेलना

WHO की गाइडलाइंस

  • घनी आबादी में न बनाए जाएं क्वॉरेंटाइन सेंटर्स
  • क्वॉरेंटाइन सेंटर्स पर नर्स या डॉक्टर का होना मेंडेटरी
  • हर सस्पेक्ट के लिए अलग वॉशरूम
  • कपडे़ धुलाई के लिए लॉन्ड्री सुविधा
  • खाना बनाने के लिए मेस होना चाहिए
  • दिव्यांगजनों के लिए व्हीलचेयर होनी चाहिए
  • डॉक्टर्स के लिए क्लीनिक रूम होना चाहिए
  • टीवी, रेडियो व मनोरंजन के साधन होने चाहिए

ईटीवी भारत की तफ्तीश में सूबे के ज्यादातर क्वॉरेंटाइन सेंटर्स के हालात बद से बदतर ही दिखे. कोरोना सस्पेक्ट्स के लिए किसी भी सेंटर पर न तो ठीक से खाने की व्यवस्था मिली और न ही पीने का पानी, बाकि चीजों की व्यवस्था तो आप छोड़ ही दें. इन क्वारंटाइन सेंटर्स में सारे कायदे कानूनों को ताक पर रखकर सरकारी निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. बात अगर सरकार की करें तो वो कागजों और फाइलों में कोरोना काल के इस वक्त को अच्छे दिनों में मैनेज करने में लगी है.

Last Updated : May 30, 2020, 3:04 PM IST

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