रांची:टोक्यो ओलंपिक 2021 में भारतीय पुरुषों और महिला हॉकी टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और लंबे समय से खोए हुए राष्ट्रीय खेल के गौरव को वापस लाया. इस बार ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम के 16 सदस्यीय टीम में से 13 खिलाड़ी भारतीय रेलवे की थी और इनमें से 2 रांची रेलवे डिवीजन की थी. रांची रेलवे डिवीजन का पुरुष और महिला राष्ट्रीय टीम में हॉकी खिलाड़ी देने का एक गौरवशाली इतिहास रहा है. आज भी इस रेल डिवीजन में कार्यरत कई खिलाड़ी देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
ओलंपियन निक्की प्रधान और सलीमा टेटे रांची रेलवे डिवीजन में काम कर रही हैं और उन्होंने भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए टोक्यो ओलंपिक में चौथा स्थान हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. निक्की के अनुभव और युवा सलीमा की ऊर्जा ने मैदान पर अद्भुत काम किया. यह विरासत 1983 में राष्ट्रीय महिला टीम में सावित्री पूर्ति के चयन के साथ शुरू हुई. वह एकीकृत बिहार, झारखंड से पहली बार चुनी गईं और बाद में 2011 से 2014 तक राष्ट्रीय चयनकर्ता बनीं और भारतीय हॉकी के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
सावित्री पूर्ति वर्तमान में रांची रेल मंडल में संचालन विभाग में कार्यरत हैं और युवा पीढ़ी को प्रेरित कर रहीं हैं. इस अंतहीन सूची में बिस्वासी पूर्ति, अल्मा गुड़िया और दयामुनि सोया भी शामिल हैं जो राष्ट्रीय टीम का हिस्सा थीं. इन्होंने 1986 में दक्षिण कोरिया में खेले गए एशियाई खेलों में देश के लिए कांस्य पदक जीता था. बाद में भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान सुमाराई टेटे ने हॉकी की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय टीम के सदस्य के रूप में रांची रेलवे डिवीजन में कार्यरत एक अन्य खिलाड़ी मासीरा सुरीन के साथ मैनचेस्टर में आयोजित 17वें राष्ट्रमंडल खेल 2002 में स्वर्ण पदक हासिल किया.
राष्ट्रीय टीम के तत्कालीन कप्तान के रूप में सुमराई टेटे और 2006 में मेलबर्न में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का नेतृत्व करते हुए रजत पदक जीता. ये दोनों अभी भी रांची रेल मंडल में सक्रिय हैं और नए आने वाली खिलाड़ियों के सपनों को पंख दे रही हैं. ऐसे रत्नों की सूची में भारत के लिए खेल रही एडलिन केरकेट्टा ने 2003 एफ्रो-एशियन गेम्स और 2004 एशिया कप में स्वर्ण पदक जीता और अभी भी मैदान पर अपने आश्चर्यजनक कदमों के लिए जानी जाती हैं. विश्व कप सहित कई मौकों पर कप्तान के रूप में असुंता लाकड़ा भारतीय टीम की अगुवाई कर चुकी हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि रांची रेलवे डिवीजन ने देश को कई महिला हॉकी खिलाड़ी दिए हैं.
पुरुष हॉकी की बात करें तो अनमोल आनंद जैसे हॉकी खिलाड़ियों ने 1997 जूनियर विश्व कप हॉकी खेला और 1998 की हॉकी टीम में टीम के सदस्य थे. इससे पहले जेम्स केरकेट्टा 1985 में भारत के लिए खेले और अभय एक्का 2015 दक्षिण एशियाई खेलों में टीम के लिए खेले. ये दोनों खिलाड़ी वर्तमान में रांची रेलवे मंडल में अपनी सेवा जारी रखे हुए हैं.
रांची रेलवे डिवीजन ने संभावित प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को नौकरी देने के अलावा विश्व स्तर की बुनियादी सुविधाओं के विकास पर भी कड़ी मेहनत की है, ताकि आने वाले खिलाड़ियों को शुरू से ही पोषित किया जा सके और राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के लिए पर्याप्त रूप से फिट किया जा सके. अत्याधुनिक एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम, बहुसुविधा व्यायामशाला, फिजियोथेरेपी सुविधा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित खिलाड़ियों द्वारा प्रशिक्षण और वरिष्ठ अधिकारियों के प्रोत्साहन ने एक ऐसा पारिस्थिति की तंत्र विकसित किया है जो खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ प्राप्त करने और पदक हासिल करने में देश की मदद करने के लिए काम कर रहा है.
खिलाड़ियों को उचित सम्मान:वर्तमान में भी रांची रेल मंडल खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए अहम भूमिका निभा रही है. इस रेल मंडल के ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो देश के लिए खेल रहीं हैं. इनमें सलीमा टेटे और निक्की प्रधान का नाम शामिल है. इसके अलावा अंडर-19 क्रिकेट में भारतीय टीम में शामिल सुशांत मिश्रा और जूनियर हॉकी टीम में खेल चुकी संगीता कुमारी को भी रेलवे की ओर से बहाल किया गया है.
रांची रेलवे मंडल ने छह खिलाड़ियों को रेलवे में नौकरी दी गई है. सलीमा टेटे और निक्की प्रधान को ओएसडी बनाया गया है यानी रेलवे से जुड़ने वाले खिलाड़ियों को रांची रेल मंडल की ओर से भरपूर सम्मान दिया जाता है. रांची रेल मंडल ने बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को एंप्लॉयमेंट के लिए कई मौके दिए हैं. इस मंडल ने विभिन्न सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के प्रतिभाओं को ढूंढने के लिए एक अभियान भी चलाने का निर्णय लिया है. जो खिलाड़ी बेहतर होंगे उन्हें चिन्हित कर प्रशिक्षण दिया जाएगा. और रेलवे में एंप्लॉयमेंट भी मिलेगा.