रांचीः राजधानी में किसी अज्ञात आशंका को लेकर लोग भयभीत हैं. आशंका है कि कहीं कुछ हो ना जाय, किसी अनहोनी की आशंका को देखते हुए पुलिस भी पूरी तरह से अलर्ट है(Ranchi police in alert mode ). राजधानी रांची के चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं. दरअसल यह आशंका इसलिए लोगों के मन में उत्पन्न हुई है, क्योंकि उनके जेहन में अभी भी 2002 की घटना अपना घर किये हुए है.
अलर्ट मोड में रांची पुलिस, अनहोनी से निपटने के लिए तैयार - रांची न्यूज
रांची में पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए पुलिस पूरी तरह से तैयार है. रांची पुलिस (Ranchi police)ने लोगों से अपील की है कि स्थानीय नीति के पक्ष में जश्न मनाएं या विरोध में प्रदर्शन करें, वो शांतिपूर्ण तरीके से करें, नहीं तो कार्रवाई की जाएगी.
लोगों को आशंका इस बात की है कि जिस तरह साल 2002 में बाबूलाल मरांडी सरकार के द्वारा 1932 के खतियान को आधार बनाकर डोमिसाइल नीति की घोषणा की गई थी और उसके बाद जो तनाव उत्पन्न हुआ था. वह कहीं इस बार भी देखने को ना मिल जाए(tension due to local policy). शायद यही वजह है कि राजधानी रांची में सुरक्षा के तगड़े इंतजाम पुलिस के द्वारा किया गया है.
1932 का खतियान बनेगा आधारःझारखंड सरकार ने यह फैसला लिया है कि 1932 के खतियान को स्थानीयता का आधार बनाया जाएगा. बकायदा कैबिनेट में इसे लेकर प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया है. इससे पहले 2002 में भी 1932 के खतियान को आधार बनाकर डोमिसाइल नीति बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन उसके विरोध और समर्थन में जिस तरह से पूरे झारखंड में हिंसा हुई थी उसे लेकर ही हर कोई आशंकित है. यही वजह है कि राजधानी रांची सहित राज्य के दूसरे हिस्सों में भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. सूचना के अनुसार कुछ लोग 1932 के खतियान के पक्ष और कुछ लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतरेंगे. रांची के सिटी एसपी अंशुमान कुमार ने बताया कि एहतियातन झारखंड पुलिस मुख्यालय के आदेश पर 300 पुलिस के जवानों को राजधानी में तैनात किया गया है. सिटी एसपी के अनुसार पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है और लोगों से अपील है कि वे विरोध जताएं या फिर समर्थन करें दोनों ही शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए नहीं तो पुलिस कार्रवाई करेगी.
क्या हुआ था साल 2002 मेंःसाल 2002 में बाबूलाल मरांडी की सरकार के कार्यकाल में स्थानीयता की परिभाषा तय की गई थी. उसके मुताबिक किसी जिले के वे लोग स्थानीय माने जाएंगे जिनके के पास 1932 का खतियान होगा. डोमिसाइल नीति जारी होने के बाद राज्य में हिंसा की कई घटनाएं हुईं थीं और सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाए गए थे. इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल की गई थी जिसके बाद सरकार के फैसले को कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
5 लोग मारे गए थे हिंसा मेंःसाल 2002 में पूरा झारखंड डोमिसाइल की आग में झुलस गया था. इस नीति की वजह से राजधानी रांची सहित कई शहरों में आगजनी तोड़फोड़ की गई थी. 2002 में हुई हिंसा में दोनों पक्षों को मिलाकर कुल 5 लोगों की जान चली गई थी.