रांची: राजधानी में इन दिनों नशा का कारोबार काफी फल-फूल रहा है और इसकी जद में हैं यहां के युवा. जिन्हें इसकी ऐसी लत लगी है कि वो नशा के लिए कुछ भी कर रहे हैं. शराब तो आम बात है, अब नशे के लिए नशीली दवा का उपयोग किया जा रहा है. रांची में नशे के सौदागरों पर रैकेट दिनों दिन मजबूत होता जा रहा है. इस गिरोह के निशाने पर रांची का युवा वर्ग, नशे की लत युवाओं के शरीर को खोखला कर उनके भविष्य को अंधकार में धकेल तो रही है, साथ ही अपराध का ग्राफ भी बढ़ा रही है.
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बड़ा और व्यापक है नेटवर्क
चार दिन पहले रांची पुलिस और ड्रग कंट्रोल की छापेमारी में रांची में एक बड़ा नशे का सौदागर धर दबोचा गया. छापेमारी में करोड़ों की नशीली अवैध दवाइयां पकड़ी गई. राजधानी रांची में यह पहला मौका था जब इतने बड़े पैमाने पर नशीली दवाइयां बरामद की गई. रांची के सीनियर एसपी अनीश गुप्ता बताते हैं कि हाल के दिनों में जो भी युवा अपराधी पकड़े जा रहे थे, उन्होंने पुलिस के सामने यह स्वीकार किया था कि वे लोग नशे के लिए आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हैं.
बड़ा रैकेट
दरअसल, रांची में नशे के सौदागरों ने बड़ा रैकेट तैयार कर रखा है. दवा दुकानों से लुक-छिपकर कर दवाएं बेची जा रही हैं, तो कई दवा दुकानों के एजेंट स्कूटी की डिक्की में भरकर नशीली दवाओं की होम डिलीवरी तक कर रहे हैं. स्कूल, कॉलेज और चौक-चौराहों के आसपास इसकी खूब बिक्री की जा रही है. दवा दुकानदारों और एजेंटों के फिक्स कस्टमर हैं. उन्हीं ग्राहकों को वे नशीली दवाएं देते हैं, जिन्हें वे जानते हैं. एजेंट भी उन्हीं ग्राहकों तक पहुंचते हैं, जो लंबे समय से उनके ग्राहक हैं.
करियर कर रहे बर्बाद
नया व्यक्ति को तभी मिलेगा, जब पुराना कस्टमर उसे साथ लेकर जाएगा. नए शख्स के जाने पर कहा जाता है कि ऐसी दवाएं नहीं रखता. रांची में नशीली दवाओं के कारोबारियों का यह मूल मंत्र है. रांची रेंज के डीआईजी अमोल वी होमकर और रांची एसएसपी अनीश गुप्ता दोनों यह मानते हैं कि हर अपराध के पीछे नशा ही वजह सामने आ रही है. रांची एसएसपी के अनुसार नशे की वजह से रांची के युवा अपना करियर भी बर्बाद कर रहे हैं.
डबल डोज लेकर अपराधी करते हैं अपराध
रांची में इन दिनों नशेड़ी ओनोरेक्स, आरसी कफ सीरप, कोडीस्टार, आरयू-टफ, लीरिक्स और बायोरेक्स पीकर गांजा पीते हैं. ये सारी नशीली दवाएं कफ सीरप हैं. जिन्हें एक्सपायरी के बाद भी बेची जा रही है. नशेड़ियों के अड्डों पर इन दिनों शराब की बोतलों से अधिक कफ सीरप की बोतलें और दवाइयों के रैपर पड़े मिल रहे हैं. फोर्टविन, पेंटविन सहित अन्य इंजेक्शन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
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धड़ल्ले से बिक्री
दर्दनाक तरीके से युवा अपने हाथ की नसों में इंजेक्ट कर रहे हैं. कुछ नशेड़ी ऐसे हैं, जो नाइट्रोजन-10, स्पास्मो प्रॉक्सिीवान, मार्फिन और ट्राइका की चार से पांच गोलियां खाकर नशा कर रहे हैं. सभी दवाइयों का इस्तेमाल किसी न किसी बीमारी में किया जाना है. ये दवाइयां डॉक्टरों के परामर्श पर ही बिकने हैं, लेकिन दुकानदार धड़ल्ले से इसकी बिक्री कर रहे हैं.
ये हैं नशे की दवा, कीमत भी जानिए
- इंजेक्शन: फोर्टविन, पेंटविन और नाइकोजोशिन (एक सूई पांच से दस रुपए की है, जिसे दुकानदार और एजेंट 100-150 रुपए में बेच रहे)
- टेबलेट: नाइट्रोजन-10, स्पास्मो प्रॉक्सिीवान, मार्फिन और ट्राइका (चार से पांच रुपए में बिकने वाली टेबलेट की 30 से 40 रुपए में बिक्री हो रही)
- कफ सीरप : कोरेक्स, कोडीस्टार, आरयू-टफ, लीरिक्स और बायोरेक्स (करीब 90 रुपए का सीरप 200 से 225 रुपये में)