रांची: दिन की भागदौड़ और बेचैनियों को रात का आसरा न हो तो जिंदगी ख्वाब देखने को भी तरस जाए. फिलहाल, ख्वाब देखने का समय नहीं बल्कि संयम बरतने और एक-दूसरे को सहारा देने का है. अब सवाल है कि कोरोना के खिलाफ छिड़ी जंग में क्या हम एक-दूसरे का ख्याल रख पा रहे हैं. खासकर रात के अंधेरे में.
अल्बर्ट एक्का चौक
इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने राजधानी की सड़कों पर निकली ईटीवी भारत की टीम. रात 8 बजे हमने अल्बर्ट एक्का चौक से शुरू की अपनी पड़ताल. यहां जो कुछ दिखा वह सुकून देने वाला था. कोई बेघर ऐसा नहीं मिला जिसकी रात भूख में कटी हो.
पटेल चौक
हमारा दूसरा पड़ाव था पटेल चौक. यहीं से रांची-लोहरदगा के बीच ट्रेन चलती है. जब हम इस चौक पर पहुंचे तो यहां एक संस्था की गाड़ी लगी थी और गरीबों के बीच ब्रेड बांटा जा रहा था. हमने वहां के लोगों से पूछा तो सब ने कहा खाने-पीने की अब कोई दिक्कत नहीं है.
रांची रेलवे स्टेशन