रांचीः केंद्र की मोदी सरकार की ओर से मोनेटाइजेशन को लेकर जो नीति लायी गई है, उसके खिलाफ कांग्रेस लगातार हमलावर है. इसी कड़ी में मंगलवार को कांग्रेस स्टेट हेड क्वार्टर में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कार्यसमिति के सदस्य और राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी सरकार की ओर से बेची जा रही देश की संपत्ति का ब्यौरा सामने रखा.
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मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार राष्ट्रीय संपत्ति बेचो योजना लेकर आई हैं, वो कहते थे कि 70 वर्षों में कुछ नहीं हुआ, पर कांग्रेस का दावा रहता था कि 70 वर्षों में देश आगे बढ़ा है, देश की जनता इसकी गवाह है.
जानकारी देते राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा
उन्होंने कहा कि हर सरकार ने अपने कार्यकाल में कुछ ना कुछ जोड़ती है और स्वतंत्रता के बाद देश का एक गौरवशाली इतिहास रहा है, मजबूत अर्थव्यवस्था में हिंदुस्तान की गिनती होती है. जबकि बीजेपी का हमेशा यही कहना था कि 70 साल में कुछ नहीं हुआ. लेकिन अब राष्ट्र की संपत्ति बेचो योजना को लाकर कांग्रेस की बात को प्रमाणित किया है, इसके लिए वह धन्यवाद के पात्र हैं. क्योंकि 6 लाख करोड़ ऐसेट मोनेटाइजेशन कह सकते हैं या फिर इसे गिरवी रखना या बेचना कह सकते हैं, उसके इर्द-गिर्द ही इसकी परिभाषा रहेगी.
उन्होंने आंकड़े प्रस्तुत कर बताया कि इस नीति के तहत क्या क्या बेचा जाएगा, इसमें 26700 किलोमीटर नेशनल हाईवे, 400 रेलवे स्टेशन, 150 रेलवे ट्रैक, 42300 किलोमीटर ट्रांसमिशन नेटवर्क पावर ट्रांसमिशन, 6000 मेगावाट हाइड्रो सोलर विंड एनटीपीसी एनएचपीसी, नेचुरल गैस पाइपलाइन 25 हजार करोड़, 8000 किलोमीटर की गेल की पाइप लाइन इसमें शामिल है. वहीं 4000 किलोमीटर आईओसी एचपी सीएलपी पाइपलाइन, टेलीकॉम सेक्टर में 35 हजार करोड़, फूड स्टोरेज के वेयरहाउस में 39000 करोड़, माइनिंग में 160 कोल माइनिंग ब्लॉक और 761 मिनरल्स ब्लॉक, 25 एयरपोर्ट, 31 सी-पोर्ट और 11 हजार करोड़ के स्टेडियम जिसमें नेशनल स्टेडियम शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा कहती थी कि अर्थव्यवस्था की हवा निकल गई है और खोखली हो गई है, उस बात को केंद्र की मोदी सरकार ने प्रमाणित कर दिया है 1989-90 आरबीआई ने अपना सोना गिरवी रखा था, उस समय ऐसी स्थिति नहीं आई थी कि देश की संपत्ति बेचकर सरकारी घाटों को पूरा किया जाए. लेकिन वर्तमान में ऐसी स्थिति आ गई है, इससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. 70 साल के बेरोजगारी का रिकॉर्ड भी इस साल टूट है, महंगाई भी चरम पर है. वर्ष 2014 में पेट्रोल-डीजल, घरेलू गैस पर केंद्र सरकार में 3 रुपये का टैक्स लेती थी, वह 32 रुपया पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि यूपीए के 10 साल के कार्यकाल में विकास दर औसतन 11 प्रतिशत रही, वहीं केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद कोरोना से पहले 6 साल में यह घटकर 6.8 प्रतिशत पर आ गई.
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सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कोरोना काल में विकास दर का प्रतिशत सबसे ज्यादा लुढ़का है और दुनिया में गरीब अमीर में अंतर हुआ है. कोरोना काल में 7 प्रतिशत विकास दर में गिरावट आई, पर देश के 100 सबसे ज्यादा अमीर लोगों की संपत्ति में 35 प्रतिशत का इजाफा हुआ, देश गरीब हो रहा था लेकिन देश के गरीब और अमीर का अंतर सबसे आगे निकल गया. देशवासियों को ऐसे में राहत की आशा थी, पर दुनिया में जिस तरह से अन्य देशों में राहत दी गई वो राहत भारत में नहीं मिली.
उन्होंने कहा कि यह नीति आम आदमी पर और बोझ बढ़ाएगी, ऐसी नीति केंद्र सरकार लेकर आई है. यह इस बात का प्रमाण है कि मोदी सरकार में देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है. देश के सामने यह चिंता का विषय है, देश की पूरी संपत्ति दांव पर लगा दी गई है. लेकिन बजट में इस पर कोई चर्चा नहीं की गई, साथ ही केंद्र सरकार ने किसी भी यूनियन से बातचीत नहीं की, इतना बड़ा कदम उसी तरह उठाया गया. जिस तरह कृषि में 3 काला कानून लाया गया है और उसी तरह यह भी लाया गया है, जिससे देश का किसान आंदोलनरत है. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे देश के लोगों को यह बात समझ आएगी तो लोग आक्रोशित होंगे.