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क्या है राज्यसभा चुनाव का पूरा गणित, एक उम्मीदवार को जीतने के लिए चाहिए कितने वोट, पढ़ें ये रिपोर्ट - rajya sabha election 2020

राज्यसभा के चुनाव के लिए सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम होता है. राज्यसभा की चुनाव प्रक्रिया को ‘इनडायरेक्ट इलेक्शन’ कहा जाता है. अमेरिका, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, नेपाल, ब्रिटेन, माल्टा और आयरलैंड जैसे देशों में इस सिस्टम के जरिए ही चुनाव होता है.

Rajya Sabha elections will be held on June 19 in Jharkhand
राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया

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Published : Jun 17, 2020, 3:42 PM IST

देश के सर्वोच्च सदन राज्‍यसभा की 18 सीटों के लिए चुनाव 19 जून को चुनाव होना है. राज्यसभा संसद का ऊपरी सदन होता है, इसको भंग नहीं किया जा सकता. इसमें सदस्यों के निर्वाचन की प्रक्रिया लोकसभा से अलग होती है. राज्यसभा की चुनाव प्रक्रिया को ‘इनडायरेक्ट इलेक्शन’ कहा जाता है. इस रिपोर्ट में समझिए आखिर कैसे होता है राज्यसभा में सदस्यों का चुनाव.

देखें ये स्पेशल रिपोर्ट
राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया

लोकसभा का चुनाव तो पांच साल में होता है, लेकिन राज्य सभा का चुनाव कभी हर साल तो कभी साल में दो बार भी हो जाता है. इसकी वजह ये है कि राज्यसभा एक स्थाई सदन है, जो कभी भंग नहीं होता. इसके सदस्यों का चुनाव 6 साल के लिए होता है. जैसे-जैसे उनका कार्यकाल पूरा होता रहता है, चुनाव होता रहता है. राज्यसभा में 250 से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते. 12 का चुनाव राष्ट्रपति करते हैं. तो इस लिहाज से देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कुल मिलाकर 238 सदस्य होंगे. अब इन सदस्यों को राज्यों की जनसंख्या के मुताबिक बांटा जाता है. राज्यसभा के लिए वोटिंग प्रक्रिया लोकसभा चुनाव से अलग होती है. इसमें वोट जनता नहीं बल्कि जिस राज्य की सीटों पर चुनाव होता है वहां के विधायक वोट डालते हैं. इन प्रतिनिधियों की संख्या उनके राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करती है.

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झारखंड के नजरिए से इसे एक उदाहरण के तौर पर समझते हैं. झारखंड में राज्यसभा की 2 सीट पर चुनाव होने हैं. फिलहाल राज्य में 79 विधायक हैं. राज्यसभा की 2 खाली सीटों में 1 जोड़ देंगे.. इससे मिले परिणाम 3 से विधायकों की संख्या 79 को भाग देंगे. आंकड़ा आएगा 26.33. अब इसमें 1 और जोड़ देंगे. इसके मुताबिक एक उम्मीदवार को एक सीट जीतने के लिए चाहिए 27 वोट. यानी जिस उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता वाले कम से कम 27 वोट मिलते हैं, वो जीत जाएंगे. राज्यसभा के चुनाव के लिए सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम होता है. अमेरिका, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, नेपाल, ब्रिटेन, माल्टा और आयरलैंड जैसे देशों में इस सिस्टम के जरिए ही चुनाव होता है.

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क्या होती है राज्यसभा

देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव के बाद संसद में एक और सदन की जरूरत महसूस की गई. ऐसे में 23 अगस्त, 1954 को राज्यसभा के गठन का ऐलान किया गया. राज्यसभा एक स्थाई सदन है. ये कभी भंग नहीं होती है. इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है. राज्यसभा में अधिकतम सीटों की संख्या 250 होगी. ये संविधान में तय किया गया है. 12 सदस्य राष्ट्रपति नॉमिनेट करते हैं. ये 12 सदस्य खेल, कला, संगीत जैसे क्षेत्रों से होते हैं. बाकी के 238 राज्यसभा सांसद राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से आते हैं.

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पहली पसंद का खेल अहम

विधायक सभी सीटों के लिए वोट नहीं करते हैं. अगर ऐसा होगा तो केवल सत्ताधारी दलों के उम्मीदवार ही जीतेंगे. प्रत्येक विधायक का वोट एक बार ही गिना जाता है. इसलिए वे हर सीट के लिए वोट नहीं कर सकते हैं. ऐसे में विधायकों को चुनाव के दौरान प्राथमिकता के आधार पर वोट देना होता है. उन्हें बताना होता है कि उनकी पहली पसंद कौन है और दूसरी कौन. पहली पसंद के वोट जिसे ज्यादा मिलेंगे, वही जीता हुआ माना जाएगा.

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