रांची: झारखंड में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी है, इस पर कई तरह के सवाल पहले भी उठते रहे हैं. लेकिन सरकार और स्वास्थ्य विभाग इस पर कुंभकर्णी निंद्रा में है. CAG की रिपोर्ट के बावजूद हालात नहीं बदल रहे हैं. मार्च महीने में ही झारखंड के CAG ने वर्ष 2014 से 2019 तक के बीच सूबे के छह सदर अस्पतालों का गहन जांच कर रिपोर्ट बनाई थी और उसे सार्वजनिक किया था. ताकि व्यवस्था में सुधार दिखे लेकिन सरकार को रिपोर्ट सौपें जाने के तीन महीने बाद भी हालात लगभग वैसे ही हैं.
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झारखंड के जिला अस्पतालों के पैथोलॉजिकल लैब को लेकर CAG ने कहा था कि इनमें होने वाली जांच की गुणवत्ता का क्रॉस वेरिफिकेशन नहीं कराया जाता. इसी तरह राज्य में कोई भी सरकारी लैब NABL से मान्यता प्राप्त नहीं है. CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि ज्यादातर लैबों में तकनीशियन की कमी है. रीजेंट यानि केमिकल के अभाव में कई जांच नहीं होते. 55-60 किस्म के इक्विपमेंट की जगह ज्यादा से ज्यादा 20 तरह के इक्विपमेंट से ही काम चलाया जा रहा है. इन लैबों में आज भी स्थिति लगभग वैसी ही है.