रांची: झारखंड में पेयजल की समस्या शुरुआत के दिनों से ही देखी जा रही है. इसको लेकर स्वच्छता एवं पेयजल विभाग (Sanitation and Drinking Water Department) की ओर से वृहद स्तर पर कार्य किया जा रहा है ताकि राज्य के लोगों को स्वच्छ पानी मुहैया हो सके. इसी के मद्देनजर राज्य में जन जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है. जिससे लोग शुद्ध पेयजल के प्रति जागरूक हो सके.
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स्वच्छता एवं पेयजल विभाग से मिली जानकारी के अनुसार झारखंड के ज्यादातर जिलों के पीने वाले पानी में आर्सेनिक, आयरन और कार्बन की मात्रा पाई जाती है जो लोगों को पेट की बीमारियों से ग्रसित करता है. झारखंड में शुद्ध पेयजल को लेकर जानकार बताते हैं कि यहां पर पानी का ट्रीटमेंट बेहतर नहीं है, इसके साथ ही सप्लाई वाटर की स्थिति बद से बदतर है. इसके अलावा पानी के जितने भी स्रोत हैं वह सभी दिन-प्रतिदिन गंदा होता जा रहा है और इस पर सरकार की ध्यान भी नहीं जा रही है.
स्वच्छता एवं पेयजल विभाग के सचिव प्रशांत कुमार बताते हैं कि झारखंड में पेयजल को लेकर संकट जरूर है. लेकिन विभाग की ओर से स्वच्छ पानी मुहैया कराने की योजनाओं पर काम किया जा रहा है जो कि जल्द ही धरातल पर देखने को मिलेगी. साहिबगंज पाकुड़ और संताल के विभिन्न जिलों के पीने के पानी में कड़ापन देखा जाता है. क्योंकि उसमें ज्यादा आयरन और कॉलीफॉर्म की मात्रा पाई जाती है. वहीं पलामू, गढ़वा, लातेहार में फ्लोराइड आर्सेनिक और नाइट्रेट पॉइजनिंग पानी में देखने को मिलता है.
राज्य सरकार एवं नगर निगम की ओर से अभी-भी पीने के पानी की ट्रीटमेंट बेहतर तरीके से नहीं की जा रही है. कई बार पीने के पानी में नाइट्रेट प्वाइजनिंग की मात्रा अधिक देखी जाती है जो कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है. आज भी ज्यादातर मोहल्ले में लोग अपने सेफ्टिक टैंक और ग्राउंड वाटर के बीच में ज्यादा अंतर नहीं रखते हैं. जिस वजह से सेप्टिक टैंक का गंदा पानी ग्राउंड वाटर में मिल जाता है और उस पानी को लोग जब पीते हैं तो वो बीमार पड़ते हैं.