रांची: वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन का सीधा नुकसान छोटे और मंझोले व्यापारियों को हो रहा है. प्रदेश में 5 लाख से अधिक ऐसे व्यापारी हैं जिनकी दुकानों के शटर न तो उठ पा रहे हैं और न ही उनके सामान की बिक्री हो रही है. एक अनुमान के तौर पर रोजाना लगभग 50 करोड़ रुपए की बिक्री ठप पड़ी है. लगभग महीने भर से वैसी दुकानों के नहीं खुलने से छोटे और मंझोले व्यापारी चौतरफा मार झेल रहे हैं.
आमदनी प्रभावित
एक तरफ उनकी आमदनी प्रभावित हो गई है. वहीं दूसरी तरफ उनके दुकानों में पड़े स्टॉक के फ्लो बंद होने से उनमें से कई आइटम एक्सपायर होने की कगार पर हैं. इतना ही नहीं उन दुकानों में काम करने वाले कामगारों को वेतन देने का नैतिक दायित्व भी उनके लिए परेशानी का सबब बन रहा है. वैसे तो राज्य में खाद्य सामग्री की दुकान खुली है, लेकिन छोटे और मंझले वैसे व्यापारी जिनकी कॉस्मेटिक, स्टेशनरी, पेंट, हार्डवेयर जैसी दुकान है, वह संकट से घिरे हैं.
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सैकड़ों में है रोज कमाने-खाने वालों की गिनती
लॉकडाउन की वजह से वैसे व्यापारियों की दुकानें पूरी तरह से बंद हैं. राजधानी के पुस्तक पथ, अपर बाजार के लोहा पट्टी, महात्मा गांधी रोड, एचबी रोड के अलावा लालपुर जैसे इलाकों में दुकानों के शटर नहीं खुल रहे हैं. इतना ही नहीं उनकी वजह से छोटे रेस्टोरेंट या ठेले लगाकर खाने के सामान बेचने वाले लोग भी संकट से घिर गए हैं. नगर निगम के आंकड़ों की माने तो रोज कमाने-खाने वालों की गिनती सैकड़ों में है.
क्या कहती है उद्यमियों की संस्था एफजेसीसीआई
फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पूर्व उपाध्यक्ष और वरिष्ठ सदस्य दीनदयाल बर्णवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान में वैसे व्यापारी साथ तो खड़े हैं, लेकिन उनके सामने भी अपनी समस्याएं हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि जिन व्यापारियों ने लोन लेकर अपना व्यापार शुरु किया है उनके माथे कर्ज का इंस्टॉलमेंट बढ़ता जा रहा है. एक तरफ जहां कर्ज का इंस्टॉलमेंट बढ़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ आमदनी न के बराबर है.
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