रांची: राज्य में साइबर अपराध पर लगाम लगाने की कवायद तेज कर दी गई है. झारखंड पुलिस ईडी (Enforcement Directorate) की सहायता से अब आम लोगों की गाढ़ी कमाई लूटने वाले साइबर अपराधियों की संपत्ति जब्त करने की करवाई करेगी. झारखंड पुलिस ने 6 से ज्यादा ऐसे साइबर अपराधियों की लिस्ट ईडी (Enforcement Directorate) को सौंपी है जिसने इस अपराध से लाखों की संपत्ति जमा की है.
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संपत्ति का पता लगा रही है पुलिस
साइबर अपराध के लिए बदनाम झारखंड के जामताड़ा, गिरिडीह, देवघर समेत साइबर अपराध से प्रभावित सभी जिलों में साइबर अपराधियों की संपत्ति जब्त की जाएगी. झारखंड पुलिस के प्रवक्ता आईजी अभियान अमोल होमकर की मानें तो राज्य में साइबर अपराध के हॉटस्पॉट को चिन्हित किया गया है. उनके मुताबिक वर्तमान समय में 9 साइबर अपराधियों की संपत्ति का ब्यौरा इकट्ठा कर ईडी को भेजा गया है. जिन साइबर अपराधियों की संपत्ति जब्त की जाएगी उनमें कुख्यात साइबर अपराधी लालू राणा, इस्माइल अंसारी और मिखाइल अंसारी शामिल है. इन तीनों साइबर अपराधियों का एक बड़ा नेटवर्क झारखंड के अलावा कई दूसरे राज्यों में भी काम कर रहा है.
कुख्यात प्रदीप मंडल की संपत्ति हुई थी जब्त
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट के तहत दर्ज मामले में साइबर अपराधी प्रदीप मंडल के खिलाफ करवाई कर चुकी है. ईडी की टीम ने साइबर अपराधी के जामताड़ा जिले के नारायणपुर मिरगा स्थित गांव के तीन मकान, चार गाड़ी और बैंक में जमा कुल 66 लाख की संपत्ति को जब्त किया था. ईडी के अधिकारियों के मुताबिक, जामताड़ा के नारायणपुर थाना में प्रदीप मंडल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ 22 जुलाई 2016 को मामला दर्ज किया गया था. दर्ज केस में चार्जशीट के आधार पर ईडी ने केस टेकओवर किया था. साइबर अपराधियों पर आरोप था कि वह बैंक और आमलोगों के एटीएम पिन की जानकारी जुटाकर एटीएम या बैंक से पैसे की निकासी करता था.
जांच में क्या आया सामने
ईडी की जांच में ये सामने आया था कि साइबर अपराधी प्रदीप मंडल ने साइबर अपराध कर काफी पैसे बनाए थे. जिसका इस्तेमाल उसने मकान बनाने और गाड़ियां खरीदने में की थी. इसके अलावे कई बैंक खातों में भी ठगी का पैसा ट्रांसफर किया गया था. जांच में ये बात भी सामने आयी थी की प्रदीप ने अपने पिता के बैंक खाते में भी ठगी का पैसा ट्रांसफर किया था जिसका इस्तेमाल मकान बनाने में किया गया.
बाहरी लिंक भी खंगाल रही पुलिस
झारखंड में साइबर अपराध के सर्वाधिक मामले जामताड़ा, देवघर, गिरिडीह, दुमका, धनबाद जैसे जिलों से आए हैं. ऐसे में इन जिलों में सक्रिय साइबर अपराधियों के बाहर के राज्यों मसलन दिल्ली, नोएडा लिंक की पड़ताल की जाएगी. वहीं फर्जी सिम का इस्तेमाल कर लोगों को ठगी का शिकार बनाया जाता है.ऐसे में सर्विस प्रोवाइडर पर भी कार्रवाई की जाएगी.
नहीं कम हो रही ठगी की वारदात
बता दें कि झारखंड के छह जिले जामताड़ा, दुमका, देवघर, गिरिडीह, धनबाद व साइबर थाना रांची में मार्च 2016 से 2019 तक कुल 1200 साइबर अपराधी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. इसी दरम्यान लगभग 1680 कांड दर्ज हुए हैं, जिसमें केवल 330 कांडों का ही निष्पादन हो सका है. साल 2021 में केवल देवघर से ही 700 से ज्यादा साइबर अपराधी जेल भेजे जा चुके है. पुलिस के सामने समस्या यह है कि वे चार अपराधी को पकड़कर सलाखों तक भेजती नहीं कि 10 अपराधी सक्रिय हो जाते हैं. ऐसे में साइबर अपराध का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. साइबर अपराध और इसके अपराधियों के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई के लिए मार्च 2016 में साइबर थाना रांची की शुरुआत हुई. अब तो जामताड़ा ,धनबाद और गिरिडीह जैसे शहरों में भी साइबर थाने खोल दिए गए हैं. कई प्रशिक्षु आईपीएस अधिकारियों को भी साइबर अपराध से निपटने की जिम्मेदारी दी गई है.
साइबर अपराधियों के करोड़ो रुपये फ्रीज
राज्य में ईडी के अलावे पुलिस भी साइबर अपराधियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है. पुलिस ने अब तक ठगी के तीन करोड़ रुपये को फ्रीज कर पीड़ितों को वापस करवाया है. इतना ही नहीं अपराधियों के पास 96 लाख 65 हजार 450 रुपये नगद जब्त भी किए गए हैं. इसके अलावा 30 हजार से अधिक एटीएम कार्ड, मोबाइल, पैन कार्ड, पेन ड्राइव, ग्रीन कार्ड, पीओएस मशीन, एटीएम क्लोनर डिवाइस, पासबुक, आधार कार्ड भी साइबर अपराधियों के पास से बरामद किए गए हैं.
संपत्ति जब्ती बनेगा बड़ा हथियार
दरअसल झारखंड पुलिस ये भली-भांति जानती है कि जब तक साइबर अपराधियों को आर्थिक नुकसान नहीं दिया जाएगा तब तक उन पर काबू पाना बेहद मुश्किल भरा काम है. यही वजह है कि झारखंड पुलिस के विशेष सेल की एक टीम सिर्फ साइबर अपराधियों की संपत्ति का ब्यौरा जुटाने के लिए दिन रात काम कर रही है. स्पेशल सेल के निशाने पर वैसे लोग भी हैं जिनके खाते में साइबर अपराधी पैसा मंगवाते हैं और कुछ प्रतिशत देकर उनका यूज करते हैं. अब तक 100 से अधिक ऐसे खाता धारियों की लिस्ट तैयार हो चुकी है जिनके खातों का इस्तेमाल साइबर अपराधी कर चुके हैं. पुलिस अब ऐसे खाता धारियों पर भी नकेल कसने की तैयारी में है.