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ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी इलाके में हो रहा है प्रोफेसर्स का तबादला, सीनेट के सदस्य ने जताई आपत्ति

रांची विश्वविद्यालय से संबद्ध ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों से प्रोफेसर पलायन हो रहे हैं. इससे ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों में पठन-पाठन पर खराब असर पड़ा है. हालांकि, रांची विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि नवनियुक्त शिक्षकों की बहाली की जा रही है.

colleges in rural areas of Ranchi
रांची विश्वविद्यालय से संबद्ध ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों से पलायन कर रहे प्रोफेसर

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Published : Jun 11, 2022, 8:15 PM IST

रांचीः रांची विश्वविद्यालय से संबद्ध ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों से प्रोफेसर शहर के पीजी विभाग और कॉलेज मुख्यालय में ट्रांसफर करवा रहे हैं. प्रोफेसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर सीनेट सदस्यों ने सवाल खड़ा किया है. हालांकि, कुलपति कामिनी कुमार ने कहा है कि नियम संगत पोस्टिंग हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों में जेपीएससी से नवनियुक्त शिक्षकों की बहाल की जा रही है.

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ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों में कुछ प्रोफोसर 10 वर्षों से ज्यादा समय से पदस्थापित हैं तो कुछ प्रोफेसर 10 वर्षों से कम समय से कार्यरत हैं. लेकिन इन प्रोफेसरों की ट्रांसफर मुख्यालय और शहर के विभिन्न कॉलेजों में की गई है. सीनेट सदस्य याज्ञवल्क्य शुक्ला ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में पठन-पाठन पर असर पड़ रहा है. इसके साथ ही एकेडमिक गतिविधि भी प्रभावित हुई है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के कॉलेजों में पठन-पाठन बैलेंस करने के लिए शिक्षकों का होना अनिवार्य हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों से शिक्षकों को खाली कर शहरी क्षेत्र के कॉलेजों में रिक्त पदों पर पदस्थापित करना तर्कसंगत नहीं है.

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विश्वविद्यालय के कुलपति कामिनी कुमार ने कहा कि जेपीएससी की ओर से हाल ही में 150 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति की गई है. इन नवनियुक्त शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में बहाल किया गया है. इससे ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों में पठन-पाठन प्रभावित नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि अधिकतर कॉलेजों में जरूरत के हिसाब से अनुबंध शिक्षकों और नियमित शिक्षकों की नियुक्ति की गई है.


राज्य में उच्च शिक्षा से जुड़े कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है. इस मामले को लेकर राजभवन की ओर से लगातार जेपीएससी और विश्वविद्यालयों को दिशा निर्देश दिया जा रहा है. इसके बावजूद नियुक्ति प्रक्रिया की गति काफी सुस्त है. इससे कॉलेजों में पठन-पाठन पर खराब असर पड़ा है और छात्र-छात्रायें राज्य के बाहर पलायन कर रहे हैं.

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