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राजधानी के पिठोरिया गांव की जनता बुनियादी सुविधा से है अनजान, चुनाव को लेकर दी अपनी राय

राजधानी के घनी आबादी कह जाने वाला कांके विधानसभा क्षेत्र का पिठोरिया गांव राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्व माना जाता है. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि विधायक इन 5 सालों में पिठोरिया क्षेत्र को बिल्कुल ही नजरअंदाज कर दिए, यहां तक कि उन्होंने क्षेत्र का भ्रमण भी नहीं किया है. इस बारे में ईटीवी भारत की टीम ने लोगों से बातचीत की.

जनता ने दी अपनी राय

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Published : Nov 3, 2019, 1:20 PM IST

रांची: कांके विधानसभा क्षेत्र का पिठोरिया गांव राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्व माना जाता है. इस क्षेत्र में ज्यादातर किसान रहते हैं. ऐसे में चुनाव के समय नेता, सिंचाई-कृषि के लिए बीज, बिजली पानी जैसी बुनियादी सुविधा किसानों को उपलब्ध कराने को वादे कर वोट मांगते हैं. ऐसे में स्थानीय लोगों से जानने की कोशिश की गई कि आखिर इन 5 सालों में विधायक क्षेत्र के लिए क्या कुछ किया है और इस क्षेत्र के लोगों को विधायक से विकास के लिए और क्या कुछ अपेक्षाएं थी.

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क्या है इलाके की समस्या
⦁ पिठोरिया एक घनी आबादी वाला क्षेत्र है और यहां पर लगभग 16 गांव के छात्र-छात्राएं पढ़ने के लिए आते हैं. ऐसे में दसवीं पास करने के बाद पढ़ाई करने के लिए रांची जाना पड़ता है.
⦁ वहीं, उप स्वास्थ्य केंद्र की बात करें तो आज इस उप स्वास्थ्य केंद्र में एक भी डॉक्टर नहीं हैं, बिल्कुल ही विरान पड़ा हुआ है.
⦁ किसानों की बात करें तो किसानों को मूलभूत सुविधा के लिए चुनाव के समय वादे की जाती है लेकिन चुनाव बीत जाने के बाद सरकार कोई भी कदम नहीं उठाती है.
⦁ क्षेत्र में सबसे ज्यादा पानी की किल्लत है. रुक्का डैम से पानी लाया जा सकता था लेकिन इस और भी बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया.


वहीं, अगर बात करें कांके विधानसभा में तो विकास बिल्कुल '0' है. बता दें कि कांके विधानसभा क्षेत्र में लगातार पिछले 20 सालों से बीजेपी का कब्जा रहा है. 2005 में बीजेपी के टिकट से रामचंद्र बैठा ने जीत हासिल की थी. वहीं दोबारा बीजेपी के टिकट से रामचंद्र बैठा ने 2009 में कांके विधानसभा के विधायक चुने गए थे. लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में जीतू चरण राम को जीत हासिल हुई.

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