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हटिया विधानसभा में जातीय समीकरण की राजनीति हावी, क्रिश्चियन और आदिवासी वोट का दबदबा! - झारखंड विधानसभा चुनाव

आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य की जनता अपने मतदान को लेकर काफी सजग हो गई है. हटिया विधानसभा क्षेत्र में ईटीवी भारत की टीम ने हटिया की जनता से उनकी समस्याओं को जाना और जनप्रतिनिधियों को रूबरू कराया.

जनता का समस्या

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Published : Oct 26, 2019, 2:52 PM IST

Updated : Oct 26, 2019, 4:58 PM IST

रांचीः राजधानी का हटिया विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी और पिछड़ी जाति समीकरण का वोट निर्णायक होता है. हटिया विधानसभा में जाति समीकरण की राजनीति हावी रही है. इस विधानसभा में सबसे अधिक आदिवासी और क्रिश्चियन मतदाता हैं जो पूरे क्षेत्र में लगभग 35% के करीब माने जाते हैं. वहीं, अन्य पिछड़ी जाति की भी संख्या लगभग 30% मानी जाती है, तो वहीं सामान्य जाति और मुस्लिम मतदाता की भी संख्या इस क्षेत्र में काफी महत्व रखते हैं.

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आदिवासी मतदाता हैं अधिक
जानकारों के मुताबिक 1 लाख 40 हजार आदिवासी मतदाता हटिया विधानसभा में अपने मत का प्रयोग करते हैं. वहीं, लगभग 70 से 80 हजार अन्य पिछड़ी जाति के मतदाता अपने मत का प्रयोग करते हैं. हटिया विधानसभा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी 60 से 70 हजार है. इस विधानसभा में सामान्य जाति और अति पिछड़ी जाति भी अपने मत का प्रयोग कर विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती हैं.

जेवीएम की टिकट से चुनाव जीते नवीन जायसवाल
पिछला विधानसभा रिजल्ट देखें तो वर्तमान में बीजेपी के विधायक नवीन जायसवाल जेवीएम के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीते थे. जहां उन्होंने लगभग 88 हजार मत प्राप्त किए थे. वहीं, बीजेपी की तरफ से सीमा शर्मा ने चुनाव लड़ा था जहां उन्होंने लगभग लगभग 80 हजार मत प्राप्त किए थे.

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इलाके में बीजेपी की बहुमत अधिक
हटिया विधानसभा कि राजनीतिक समीकरण को देखें तो शहरी इलाकों में बीजेपी के कैडर मतदाताओं की संख्या बहुमत में है, लेकिन हटिया विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में आदिवासी, ओबीसी और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अत्यधिक देखी जाती है जो विधानसभा चुनाव में निर्णायक माने जाते हैं.

बीजेपी में शामिल होने के बाद विधायक की किरकिरी
इस विधानसभा क्षेत्र में आजसू, जेवीएम, बीजेपी, और कांग्रेस पार्टी ने अपना-अपना परचम लहराया है. हालांकि हटिया विधानसभा के स्थापना के बाद इस सीट पर अमूमन भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का ही राज रहा है, लेकिन 2012 में नवीन जायसवाल ने आजसू के टिकट पर पहली बार क्षेत्रीय पार्टी को जिताया था. इसके बाद फिर 2014 में नवीन जायसवाल जेवीएम से जीतकर विधानसभा पहुंचे लेकिन बाद में दल बदल कानून के तहत भाजपा में शामिल हो गए. जिसे लेकर उनकी काफी किरकिरी भी हुई थी.

भरत साहू लड़ सकते हैं निर्दलीय चुनाव
ईटीवी भारत की टीम ने जब इस क्षेत्र में ग्राउंड रिपोर्टिंग की तो कई ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क बिजली पानी घर और अन्य बुनियादी सुविधाओं की घोर कमी दिखी. वहीं, विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आगामी विधानसभा चुनाव में वर्तमान के आजसू के हटिया विधानसभा प्रभारी भरत साहू इस क्षेत्र में काफी लोकप्रिय नेता के रूप में देखे जा रहे हैं, लेकिन आजसू और बीजेपी गठबंधन होने के कारण भरत साहू निर्दलीय या अन्य पार्टी से भी चुनाव लड़ झारखंड विधानसभा पहुंचने की योजना बना रहे हैं.

नवीन जायसवाल पर उठ रहे सवाल
वहीं, दूसरी ओर कहा जा रहा है कि आजसू पार्टी हटिया विधानसभा में नवीन जायसवाल को लेकर कई प्रश्न खड़े कर रही है. ऐसी स्थिति में हटिया विधानसभा से बीजेपी की पूर्व प्रत्याशी सीमा शर्मा पर भी एनडीए अपना किस्मत आजमा सकती है. हटिया क्षेत्र के राजनीतिक जानकारों के अनुसार हटिया विधानसभा क्षेत्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और महागठबंधन में कड़ी टक्कर मानी जा रही है, लेकिन अब प्रत्याशियों के चयन के बाद ही यह स्पष्ट हो पायेगा की कौन किसे कितना टक्कर देगा.

सुबोधकांत का भी दावा
हालांकि, हटिया विधानसभा के लिए महागठबंधन से एक तरफ जेवीएम अपना दावा कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय भी अपने पसंदीदा प्रत्याशी को खड़ा करने के लिए प्रयासरत हैं. सुबोधकांत सहाय एक बार अपने भाई सुनील सहाय को भी कांग्रेस की ओर से टिकट दिलाने में सफलता पा चुके हैं.

Last Updated : Oct 26, 2019, 4:58 PM IST

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