रांची: स्वास्थ्य विभाग से जारी आदेश के बाद यह तय किया गया है कि अब राज्य के सभी निजी अस्पतालों में कोरोना से ग्रसित मरीजों का भी इलाज किया जायेगा. इसी के मद्देनजर सभी निजी अस्पताल के प्रबंधकों को अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड बनाकर इलाज करने का निर्देश दिया गया है. इसके साथ ही यह भी हिदायत दी गई कि अगर कोई मरीज अन्य बीमारी से ग्रसित होकर निजी अस्पतालों में इलाज कराने पहुंचता है और वह कोरोना पॉजिटिव भी है, तो वैसे मरीजों के साथ निजी अस्पताल किसी तरह का भेदभाव नहीं कर सकता. अस्पताल को मरीज की मूल बीमारी और कोरोना दोनों का ही इलाज करना होगा.
निजी अस्पतालों आदेश का कर रहे विरोध
सरकार के इस फैसले का निजी अस्पतालों के संगठन एसोसिएशन ऑफ हेल्थ प्रोवाइडर्स और झारखंड आईएमए ने विरोध किया है. एसोसिएशन ऑफ हेल्थ प्रोवाइडर्स के अध्यक्ष योगेश गंभीर ने बताया कि सरकार के इस आदेश से निजी अस्पतालों में इलाज कराने वाले अन्य गंभीर मरीजों के भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाएगा. उन्होंने बताया कि कई ऐसे निजी अस्पताल हैं की संरचना और हॉस्पिटल्स इंफ्रास्ट्रक्चर उस प्रकार से नहीं है ताकि कोविड के मरीजों का इलाज करने के लिए अस्पताल के उस हिस्से को अलग किया जा सकें.
कोविड के मरीजों के लिए अलग से व्यवस्था की मांग
राज्य में कुछ अस्पताल ही ऐसे हैं जिसका इंफ्रास्ट्रक्चर अत्यधिक बेहतर है और वह कोविड के मरीजों के लिए अलग से आइसोलेशन वार्ड बना सकते हैं. वहीं, उन्होंने सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि कई निजी अस्पतालों में सिर्फ एक ही प्रवेश द्वार है और निकलने के लिए भी उसी रास्ते का उपयोग करना पड़ता है जबकि कोविड के मरीजों के लिए सभी चीजों की अलग व्यवस्था होना अति आवश्यक है.