रांची: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल प्रतिनिधि सभा की कर्नाटक के धारवाड़ में हुई अर्द्धवार्षिक बैठक में पारित किए गए प्रस्ताव से अवगत कराने के लिए आरएसएस झारखंड इकाई की ओर से संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसमें आरएसएस के झारखंड के सह प्रांत कार्यवाहक राकेश लाल ने प्रतिनिधि सभा मे पारित किए गए प्रस्ताव से राज्यवासियों को अवगत कराया.
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हिंदुओं पर अत्याचार पर चुप है मानवाधिकार संगठन
आरएसएस के राज्य प्रमुख ने बताया कि प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव पारित कर विश्व भर के मानवाधिकार संगठनों से यह पूछा गया कि जब भारत में मामूली आपराधिक घटना पर भी भारत और विश्व भर में लोग कैंडल लेकर निकल पड़ते हैं. वह संगठन उस वक्त कहां थे जब हिंदुओं पर बांग्लादेश में अत्याचार हो रहा था. राकेश लाल ने कहा कि मानवाधिकार तो हर मानव के लिए है, फिर धर्म के नाम पर यह भेदभाव क्यों है. उन्होंने कहा कि संतोष इस बात की है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का पूरी दुनिया के हिंदू संगठनों ने विरोध किया. प्रतिनिधि सभा में इस बात पर भी चिंता जताई गई कि बांग्लादेश में 1971 से ही हिंदुओं के खिलाफ हो रही क्रूर हिंसा पर संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित संगठन और तथाकथित अंतरराष्ट्रीय संगठन चुप क्यों हैं.
भुला दिए गए नायकों की वीर गाथा सामने लाएगा संघ आरएसएस के सह प्रांत कार्यवाहक झारखंड राकेश लाल ने प्रतिनिधि सभा में पारित हुए अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव की जानकारी देते हुए कहा कि संघ भारत के स्वतंत्रता संग्राम के उन नायकों की वीर गाथा को जनता के बीच ले जाएगा, जिससे अभी तक देशवासी अनजान और अनभिज्ञ हैं. उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर के 400 वें प्रकाश पर्व में उनकी वीर गाथा और उनके बलिदान को जनता के बीच ले जाया जाएगा.
2025 में आरएसएस की स्थापना के 100 साल पूरे
राकेश लाल ने कहा कि वर्ष 2025 में आरएसएस की स्थापना के 100 वर्ष हो जाएंगे. ऐसे में झारखंड में 1264 मंडल में से 672 मंडल में आरएसएस कार्यरत हैं. बाकी बचे मंडलों में भी वर्ष 2025 तक काम करने का लक्ष्य रखा गया है.
हिंदुओं के त्योहार के दौरान पर्यावरण संरक्षण की याद
संवाददाता सम्मेलन में राकेश लाल ने कहा कि ऐसा देखा जाता है कि जब भी हिंदू त्योहार आते हैं तब पर्यावरण संरक्षण की बात होने लगती है. पटाखों पर प्रतिबंध, होली में पानी का कम इस्तेमाल जैसी बातें सामने आने लगती हैं. लेकिन अन्य कार्यक्रमों और आयोजनों में जमकर आतिशबाजी होती है तब क्यों नहीं आवाज उठाई जाती है.