रांची: झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने एक प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजने का निर्णय लिया है. राज्य के मॉडल स्कूल के शिक्षकों को मानदेय दिए जाने को लेकर योजना बनाई जा रही है. अब तक मॉडल स्कूलों के शिक्षकों को घंटी आधारित पैसे दिए जा रहे हैं और इससे शिक्षक लगातार आंदोलित हैं.
शिक्षकों के लिए एक प्रस्ताव तैयार
राज्य के विभिन्न सरकारी मॉडल स्कूलों के शिक्षकों की ओर से लगातार उचित मानदेय देने की मांग की जाती रही है लेकिन इस ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया है. नतीजा यह निकला कि इन मॉडल स्कूलों को शिक्षक छोड़ दिया और धीरे-धीरे इन स्कूलों में शिक्षकों की कमी होने लगी. इसी को देखते हुए राज्य शिक्षा परियोजना परिषद ने मॉडल स्कूलों के शिक्षकों को प्रतिमाह 18,000 मानदेय देने को लेकर एक प्रस्ताव तैयार किया है.
ये भी पढ़े-बैखौफ अपराधीः सर्राफा व्यवसायी पर फायरिंग, गंभीर हालत में टीएमएच में भर्ती
मॉडल स्कूलों का संचालन सरकार की ओर से किए जाने को लेकर भी सहमति बनी है. शिक्षकों को प्रति घंटे 120 रुपये ही मिलता है. वह भी नियमित रूप से इन्हें वेतन भुगतान नहीं किया जाता है. इसके बावजूद शिक्षक लगातार काम कर रहे थे लेकिन कई स्कूलों के रिपोर्ट के आधार पर देखा गया शिक्षकों ने स्कूल में काम करना छोड़ दिया और प्राइवेट स्कूलों में वे चले गए. इसी परेशानी को देखते हुए झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने यह निर्णय लिया है.
बच्चों के अनुपात में शिक्षक अधिक
झारखंड के जिन प्लस 2 विद्यालयों को अपग्रेड किया गया है उन विद्यालयों में अब प्लस टू के शिक्षक ही कक्षा लेंगे. इसे लेकर स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग की ओर से एक रिपोर्ट तैयार की गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 510 प्लस 2 विद्यालयों में से 9 विद्यालय में नौवीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थी कम हैं. इसके बावजूद प्लस टू और हाई स्कूल दोनों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है. शिक्षकों के अनुपात में बच्चों की संख्या कम है और हाई स्कूलों में नियमित रूप से पठन-पाठन बाधित हो रहे हैं. ऐसे में सरकार ने एक योजना के तहत यह निर्देश दिया है कि स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग इस ओर ध्यान देते हुए प्लास्टो स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों से ही हाई स्कूलों के बच्चों की क्लासेस लेने को लेकर योजना बनाएं और योजना के आधार पर क्लासेस संचालित करवाई जाए.