रांचीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने हर माह की 09 तारीख को मुकर्रर किया है, इस दिन गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) की प्रसवपूर्व विशेष सेहत जांच की जाती है. इसके लिए राजधानी की कई महिलाएं सदर अस्पताल पहुंचीं, पर वहां की व्यवस्था से जूझना पड़ रहा है. आलम ये है कि गर्भवती महिलाओं को अपनी बारी के लिए घंटों कतार में इंतजार करना पड़ता है. इसको लेकर उनमें खासी नाराजगी है.
इसे भी पढ़ें- रांची सदर अस्पताल में मेडिकल वेस्ट खुले में फेंका जा रहा, संक्रमण का बढ़ा खतरा
रांची सदर अस्पताल (Ranchi Sadar Hospital) में सेहत की जांच कराई आई गर्भवती महिलाओं को लंबी कतार में खड़े रहना किसी सजा की तरह कम नहीं. ऐसे में उनकी सेहत अच्छी होने के बजाए बिगड़ सकती है. अस्पताल परिसर में उनके बैठने की व्यवस्था ना होने से वो काफी परेशान हैं.
यह सच है कि सदर अस्पताल जिसे मातृत्व और शिशु अस्पताल (Maternity and Child Hospital) के रूप में विकसित किया जा रहा है. वहां इलाज के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं को घंटों लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है. गर्भवती महिलाओं ने ईटीवी भारत (Etv Bharat) से अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि इस हालत में लाइन में खड़े रहना काफी कष्टकारी है, पर बिना हेल्थ चेकअप के, बिना डॉक्टर को दिखाए आखिर घर कैसे लौट जाएं.
थककर जमीन पर बैठी गर्भवती महिला
स्लोगन सिर्फ दीवारों पर-अमल में नहीं
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (Pradhanmantri Surakshit Matritwa Abhiyan) का बैनर सदर अस्पताल में लगा ,है जिसमें लिखा है कि 'अस्पताल पहुंचने वाली हर गर्भवती महिलाओं को यह एहसास होना चाहिए कि वह खास हैं'. लेकिन सदर अस्पताल में ये एहसास कैसे संभव है, जब उन्हें बैठने के लिए कुर्सियों की व्यवस्था तक सदर अस्पताल प्रबंधन नहीं कर सका है. इन महिलाओं को नियंत्रित करने के लिए डंडा देकर जवान की तैनाती जरूर की गई है, जो समय-समय पर थककर जमीन पर बैठी महिलाओं को उठाने का काम करता है.
गर्भवती महिलाओं को चेतावनी देता जवान इसे भी पढ़ें- झारखंड में कोरोना का खतराः अस्पताल पहुंचे मरीज नहीं पहन रहे हैं मास्क, रांची सदर अस्पताल में इलाज से पहले होगा एंटीजन टेस्ट
क्या कहते हैं उपाधीक्षक
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. सव्यसाची मंडल (Ranchi Sadar Hospital Deputy Superintendent Dr. Savyasachi Mandal) कहते हैं कि कोरोना काल में ओपीडी (OPD) बंद था. काफी वक्त बाद ओपीडी के खुलने से लोगों की भीड़ काफी ज्यादा है. आज के दिन गर्भवती महिलाओं की भीड़ कुछ ज्यादा ही है, जिसके चलते दिक्कत बढ़ी है. लेकिन इस सवाल का जवाब उनके पास भी नहीं है कि अगर गर्भवती महिलाओं के अस्पताल पहुंचने की संख्या बढ़ी है तो इसकी व्यवस्था किसके जिम्मे है.
हेल्थ चेकअप के लिए कतार में खड़ी गर्भवती महिलाएं हर दिन 300 से 350 गर्भवाती महिलाएं अस्पताल आती हैंरांची के सदर अस्पताल के गायनी ओपीडी (Gynae OPD) में हर दिन 350-350 गर्भवाती महिलाएं प्रसव पूर्व जांच के लिए पहुंचती है. लेकिन इतनी संख्या होने के बावजूद सदर अस्पताल में इन महिलाओं के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. घंटों लाइन में खड़े रहो, अपनी बारी का इंतजार करो और जब बैठो को तैनात पुलिस के जवान की लाठी का सामना करो. दबी जुबान में महिलाओं की भी मांग है कि हेल्थ चेकअप के साथ बैठने का इंतजाम भी हो जाता तो उनको काफी सहूलियत होती.