रांची: जेवीएम विधायक प्रदीप यादव अबतक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. दरअसल उनकी पार्टी की ही एक महिला नेत्री ने यौन शोषण का आरोप लगाया था. हैरत की बात यह है कि राज्य में शिक्षा मंत्री और कुछ समय तक सांसद रहे प्रदीप यादव को वारंट निकलने के 11 दिनों के बाद भी पुलिस पकड़ नहीं पाई है.
दरअसल, प्रदीप यादव के ऊपर उनकी ही पार्टी की एक प्रवक्ता ने यौन शोषण का गंभीर आरोप लगाया था. इसको लेकर देवघर जिले में मई के पहले हफ्ते में बकायदा मामला भी दर्ज किया गया था. प्रदीप यादव के खिलाफ 29 जून को देवघर जिले की निचली अदालत ने गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था. निचली अदालत से अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज होने के प्रदीप यादव ने झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
गिरफ्तारी के लिए गोड्डा से रांची तक छापा
झाविमो विधायक की तलाश में पुलिस की टीम में रांची आकर उनके आवास तक छापेमारी की, लेकिन प्रदीप यादव नहीं मिले. इस मामले पर झारखंड विकास मोर्चा ने चुप्पी साध रखी है. हालांकि जेवीएम सुप्रीमो और राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इस मामले का हवाला देते हुए प्रदीप यादव से पार्टी के प्रधान महासचिव पद से मुक्त होने का निर्देश दिया. मरांडी की चिट्ठी मिलने के तुरंत बाद प्रदीप यादव ने खुद को पद से अलग तो कर दिया.
बीजेपी में शिफ्ट होने के चर्चे हैं जोरों पर
गिरफ्तारी में देरी की वजह को लेकर उनके बीजेपी में शिफ्ट होने की चर्चा जोरों पर है. वैसे तो प्रदीप यादव बीजेपी के पुराने सिपाही रहे हैं, लेकिन बाबूलाल मरांडी के जेवीएम बनाने के बाद वह उनके साथ हो लिए. बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों का यकीन करें तो अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर प्रदीप यादव काफी गंभीर हैं. कथित तौर पर राज्य और केंद्र में भगवा दल के बड़े कद वाले नेताओं के संपर्क में भी हैं.