रांची: पूरे विश्व में पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है. लॉकडाउन की वजह से आर्थिक नुकसान हुआ है, पर एक बड़ा फायदा भी हुआ है. धरती को नया जीवन मिल गया है. न सिर्फ हवा बल्कि पानी भी साफ हो गया है. चिड़ियों की चहचहाहट बढ़ गई है. शोर और भीड़भाड़ के कारण राष्ट्रीय पक्षी मोर का नाच, कोयल की कूक और गोरैये की चहचहाहट कम सुनाई देती थी. न जाने ऐसे कई पशु-पक्षी हैं जिनकी आवाज शहर के शोरगुल में गुम हो जाती हैं.
इन दिनों प्राकृतिक में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है लॉकडाउन के कारण लोग अपने घरों में कैद हैं. मोटर, कल-कारखाने सब बंद हैं, जिसके कारण पक्षियों की चहचहाहट एक बार फिर से सुनने को मिल रही है. यहां तक कि पशु पक्षी जंगल से सटे इलाकों में देखने को मिल रहे हैं. इलाके में सुबह शाम घरों के छत और बागीचे में मोर के दर्शन हो रहे हैं. यू कहें तो लॉकडाउन की वजह वातावरण में काफी सुधार देखने को मिल रहा है.
टोले- बस्ती में आने लगे पशु-पक्षी
राजधानी रांची से सटे पिठोरिया पंचायत की अंबा टोली गांव में इन दिनों जंगली पशु पक्षियों का आना-जाना लगा हुआ है. हाथी, लकड़बग्घा, बाघ, भालू की आवाज सुनाई देती है. सुबह शाम घरों की छत या छप्पर पर मोर देखने को मिल जाता है. लोग सुबह शाम राष्ट्रीय पक्षी मोर को देख रहे हैं और दाना खिला रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से हर तरफ शांति का माहौल बना हुआ है. जंगल से सटे होने के कारण बस्ती में पशु-पक्षियों का आना जाना लगा रहता है.
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