रांची:1857 के विद्रोह से 2 साल पहले 30 जून 1855 को अंग्रेजों के खिलाफ सिदो-कान्हो के नेतृत्व में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका गया था. जिसमें संथाल के 400 गांवों के 50,000 से अधिक लोगों ने भोगनाडीह पहुंचकर अंग्रेजों के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया था. संथालों ने मालगुजारी नहीं देने के साथ ही अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो का नारा लगाया. जिससे घबराकर अंग्रेजों ने इस विद्रोह का दमन शुरू कर दिया था. इसी संघर्ष और विद्रोह की याद में हर साल 30 जून को हूल दिवस मनाया जाता है. इस बार भी पूरे झारखंड में श्रद्धा और आदर के साथ ये दिवस मनाया गया.
सीएम हेमंत सोरेन ने दी श्रद्धांजलि
हूल दिवस के मौके पर झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने अमर शहीद सिदो-कान्हू की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस दौरान उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आदिवासियों के विद्रोह, संघर्ष और उनके बलिदान को याद किया. सीएम ने 30 जून को विशेष दिन बताते हुए झारखंड की धरती को वीरों और शहीदों की धरती बताया. उन्होंने कहा 1855 में सिदो-कान्हू के नेतृत्व में आदिवासियों ने अदम्य वीरता और साहस का परिचय देते हुए अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे. अपने हक, अधिकार और देश की खातिर इन वीरों ने अपनी कुर्बानी दे दी थी. संताल विद्रोह के ऐसे नायकों की शहादत हम सभी को सदैव प्रेरित करेगा. इन अमर शहीदों के आदर्शों के अनुरुप झारखंड को बनाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है. संताल विद्रोह के अमर शहीदों को शत-शत नमन.
हूल दिवस पर सीएम हेमंत सोरेन ने दी श्रद्धांजलि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने दी श्रद्धांजलि
हूल दिवस के मौके पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी अपने दिल्ली आवास पर सिदो-कान्हो की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनकी शहादत को याद किया. उन्होंने कहा शहीदों का बलिदान और उनकी वीरगाथा इतिहास के पन्नों में हमेशा बनी रहेगी. इन शहीदों के सपनों का झारखंड बनाने के लिए मिलकर प्रयास करना होगा.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने किया नमन बंधु तिर्की ने भी शहादत को किया याद
कांग्रेस विधायक बंधु तिर्की ने भी शहीद सिदो-कान्हो की प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाकर उनको श्रद्धांजलि दी. इस दौरान बंधू तिर्की ने कहा कि जल जंगल जमीन की रक्षा, शोषकों के अत्याचार और शोषण के खिलाफ विद्रोह करने वाले अमर वीर शहीद सिदो-कान्हो, चांद-भैरव और फूलो-झानो समेत हजारों अमर वीर शहीदों को हूल जोहार.
विधायक बंधु तिर्की ने किया श्रद्धासुमन अर्पित हूल दिवस पर सियासत
हूल दिवस पर भी झारखंड में भी राजनीति गर्म रही है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने सिदो-कान्हो के संघर्षो को याद करते हुए गठबंधन की सरकार को उनके पदचिन्हों पर चलने वाली पार्टी बताया. उन्होंने कहा कि अमर शहीद की प्रेरणा से झारखंड सरकार ने जमीन बचाने का काम किया है और उनकी प्रेरणा से भविष्य में भी सरकार उनके दिखाए मार्ग पर चलकर विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी. इसके साथ ही रामेश्वर उरांव ने पूर्व की रघुवर सरकार पर आदिवासियों की जमीन लूटने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा आदिवासी सामाज ने अपनी परंपरा और विरासत की रक्षा को लेकर अंग्रेजो के खिलाफ संघर्ष किया. जिसके परिणामस्वरूप एसपीटी (Santhal Parganas Tenancy Act), सीएनटी (Chota Nagpur Tenancy Act) कानून बनाया गया. रामेश्वर उरांव ने कहा कि आदिवासी हो या गैर आदिवासी सिदो-कान्हो सबके लिए आदरणीय थे और आदरणीय रहेंगे. इसी दौरान रामेश्वर उरांव ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ वीरता दिखाने के लिए फूलो और झानो को भी याद किया और कहा इन दोनों वीरांगनाओं ने भी 21 अंग्रेजी सैनिकों को विद्रोह के दौरान मौत के घाट उतार डाला था. लेकिन इतिहास में उन्हे वो जगह नहीं मिली जिस तरह रानी लक्ष्मीबाई को वीरता और बलिदान के कारण मिला.
हूल दिवस पर अमर शहीद सिदो कान्हो को श्रद्धांजलि बीजेपी ने किया पलटवार
हूल दिवस पर बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय समेत सभी जिलों के कार्यालयों पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रदेश मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में अध्यक्ष दीपक प्रकाश, बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी और राज्यसभा सांसद समीर उरांव समेत कई नेता शामिल हुए. इस दौरान सभी नेताओं ने अमर शहीद सिदो-कान्हो के चित्र पर माल्यार्पण कर उनको श्रद्धांजलि दी. प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने हूल दिवस पर जहां अमर शहीद की वीरता को याद किया. वहीं, बाबूलाल मरांडी ने सत्तारूढ़ दल पर आदिवासियों की हितों की अनदेखी का आरोप लगाया. उन्होंने कहा जिस संथाल की धरती पर हूल की शंखनाद हुई उसी साहिबगंज की धरती पर रुपा तिर्की की हत्या हो जाती है और सरकार जांच के नाम पर खानापूर्ति करती है. उन्होंने कोरोना वैक्सीन की कमी के लिए केंद्र पर आरोप लगाए जाने की निंदा की और कहा राज्य सरकार की कुप्रबंधन के कारण वैक्सीन बर्बाद हो गई गई. उन्होंने राज्य सरकार पर पूरे मामले में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया.
कांग्रेस पर बीजेपी का पलटवार हूल दिवस पर आंदोलन की चेतावनी
हूल दिवस पर सियासी दल जहां खुद को आदिवासियों का सबसे बड़ा हिमायती बताने से नहीं चूके वहीं इस मौके पर जेपीएससी अभ्यर्थियों ने सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है. दूसरी और छठी जेपीएससी परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर रांची में गांधी प्रतिमा के पास महाजुटान कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें मांग नहीं माने जाने पर आंदोलन को तेज करने की बात कही गई. हूल दिवस पर जुटे अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर राज्य सरकार छठी जेपीएससी पूरी परीक्षा को रद्द नहीं करती है तो इस आंदोलन को उग्र किया जाएगा. छात्रों ने हूल दिवस पर जेपीएससी, जेएसएससी जैसी संवैधानिक संस्थाओं को पूरी तरह फेल बताते हुए इन्हें दुरूस्त करने की मांग की है.
हूल दिवस पर आंदोलन करते जेपीएससी अभ्यर्थी क्या है जेपीएससी का विवाद?
बता दें कि छठी जेपीएससी परीक्षा को लेकर शुरुआत से ही विवाद रहा है. इसमें 326 अभ्यर्थियों का चयन भी कर लिया गया था. जिसको लेकर हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने 7 जून को इस नियुक्ति को अवैध घोषित करते हुए नए सिरे से नियुक्ति के लिए निर्देश दिया था. हाई कोर्ट के आदेश के बाद जेपीएससी इस मामले को लेकर विचार कर रही है. वहीं, अभ्यर्थी इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं. विरोध कर रहे अभ्यर्थी छठी जेपीएससी में नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे हैं.