रांची: लॉकडाउन के शुरुआत से लेकर अब तक लोगों की सुरक्षा और गरीबों और बेसहारों के लिए लगातार सड़कों पर 24 घंटे काम करने वाले पुलिसकर्मी भी अब लगातार कोरोना संक्रमण का शिकार हो रहे हैं. पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार अब तक लगभग 3,000 पुलिसकर्मी अधिकारी कोरोना संक्रमण के वजह से या तो होम क्वॉरेंटाइन है या फिर वह अस्पताल में है. इन सबके बीच कुछ पुलिसकर्मी विषम परिस्थितियों में रहने के बावजूद भी कोरोना की जंग जीत कर घर लौट आए हैं. रांची के गोंदा थाना प्रभारी अवधेश ठाकुर की जो पूरे 28 दिनों तक अस्पताल में रहे और कोरोना को हरा कर घर लौटे हैं. बता दें कि एक अपराधी को गिरफ्तार करने और उसे पूछताछ के दौरान अवधेश कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे. कोरोना संक्रमण उनके लिए एक खतरा भी था क्योंकि वह मधुमेह रोग से पीड़ित है.
हौसला रखें बुलंद, नहीं छोड़ी उम्मीद
अवधेश ठाकुर 28 दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद कोरोना पर विजय पा कर घर लौटे हैं. उनके घर लौटने पर ईटीवी भारत की टीम ने उनका हालचाल जाना और यह जानने की कोशिश कि की वह 28 दिनों तक अस्पताल में रहे. इस दौरान उन्होंने क्या-क्या एहतियात बरते, कौन-कौन सी दवाइयां खाई, खाने में क्या खाया. अवधेश ठाकुर बताते हैं कि उनका जब करोना टेस्ट हुआ उस समय उनमें कोई लक्षण नहीं थे लेकिन रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. जिसके बाद वे रांची के गांधीनगर अस्पताल में भर्ती हो गए. अस्पताल जाने के बाद वे नियमित रूप से विटामिन सी, बी कांपलेक्स दवा के रूप में लेते रहे. जबकि प्रचुर मात्रा में खाना समय से खाया, योग किया और मन में यह विश्वास रखा कि वे जल्द ठीक हो जाएंगे लेकिन इन सबके बावजूद लगातार छह रिपोर्ट उनके पॉजिटिव आए. आखिरकार सातवीं बार यानी 28 दिनों के बाद उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई और वे अपने घर लौट गए.
समाज और अपने लोग बन गए दुश्मन
अवधेश ठाकुर की पत्नी ममता ठाकुर ने बताया कि जब उनके पति कोरोना संक्रमण के शिकार हुए तब उनके अपने और पड़ोसियों ने उनसे मुंह मोड़ लिया. यहां तक कि कई लोगों ने तो उनसे बातचीत करना भी छोड़ दिया. ममता के अनुसार यह समय काफी पीड़ा दायक था. उनके पति दिन रात लोगों की सेवा में जुटे रहे, गरीबों को खाना खिलाया, लोगों की सुरक्षा के लिए दिन रात सड़कों पर गुजारा लेकिन वही लोग जब वे बीमार हुए तो उनसे एहतियात बरतने लगे.