रांचीः झारखंड पुलिस और उत्पाद विभाग शराब माफिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है. उत्पाद विभाग ने शराब के अवैध धंधे में शामिल कारोबारियों की वांटेड लिस्ट तैयार की है. इस काली सूची में ऐसे सभी शराब माफियाओं को शामिल किया गया है जो झारखंड में नकली शराब का कारोबार करते हैं. दूसरी तरफ समाज के लिए घातक बन चुके शराब कारोबारियों के खिलाफ अब पुलिस क्राइम कंट्रोल एक्ट (सीसीए) के तहत भी कार्रवाई करेगी.
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काली सूची बनाई गई
उत्पाद विभाग की तरफ से शराब माफियाओं की एक लिस्ट तैयार की गई है. इस लिस्ट में 25 ऐसे शराब तस्करों के नाम शामिल हैं जो झारखंड-बिहार में अवैध शराब की तस्करी करते हैं. काली सूची में शामिल शराब तस्करों में से कई जेल में है तो कई जमानत पर बाहर हैं. उत्पाद विभाग की टीम पुलिस की सहायता से इन शराब तस्करों पर कड़ी नजर रख रही है ताकि यह लोग जहर का कारोबार ना कर सकें.
काली सूची में ये शराब माफिया
- बालकर्ण महतो और जटलु महतो- नगड़ी
- गुड्डू साहू और विष्णु साहू- चान्हो
- सुनील- मांडर, गंगा साहू- हरा टांड
- सोनाराम और मोनाराम- होचर
- नरेश सिंधिया- नामकुम
- राजन साहु-हुंडरू
- आनंद साहू- बुंडू
- पंकज प्रसून - पंडरा
- गणेश गोराई और देबू- हातमा
- नागेन्द्र सिंह- कटहलमोड़
- सौरभ साहू- दस माइल
- संजय साहू- चंदवे
- विष्णु पोद्दार- सिल्ली
- शक्ति- पिठोरिया
- बालमुकुंद निराला उर्फ राहुल- कांके, पिठोरिया
- बाबू और बिहारी-हराटांड़
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जिला बदर करने की कार्रवाई भी होगी
रांची पुलिस ने भी राजधानी के लिए खतरनाक हो चुके अवैध शराब कारोबारियों की एक लिस्ट तैयार की है ताकि उन पर सीसीए के तहत कार्रवाई की जा सके. पुलिस की योजना है कि रांची में सक्रिय अवैध शराब के कारोबारी को जिलाबदर किया जाए. इसके साथ ही उनसे थाने में हाजिरी भी लगवाई जाए.
पुलिस ने निर्णय लिया है कि पुराने शराब कारोबारी जिनके खिलाफ पहले से शराब तस्करी, बेचने के आरोप में दो या उसके अधिक केस दर्ज हैं. उनके खिलाफ जिलाबदर की कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा ऐसे पुराने शराब कारोबारी, जिनके खिलाफ एक केस दर्ज है या उनका नाम संदिग्ध शराब कारोबारी के रूप में सामने आ चुका है, पुलिस उनके खिलाफ थाना हाजिरी का प्रस्ताव तैयार करेगी.
उत्पाद विभाग को मिलेगा सहयोग
झारखंड पुलिस के प्रवक्ता सह आईजी अभियान अमोल होमकर ने बताया कि उत्पाद विभाग ने जो शराब कारोबारियों की काली सूची बनाई है, उन पर नजर रखने के साथ-साथ उन पर दबिश डालने के लिए झारखंड पुलिस हरसंभव मदद करेगी. आईजी के अनुसार शराब माफिया के खिलाफ वर्तमान में जोरदार कार्रवाई चल रही है जो आगे भी जारी रहेगी.
अरुणाचल प्रदेश जाने वाली शराब को लाया जाता है झारखंड
वांटेड पंकज प्रसून का नेटवर्क चंडीगढ़ से निकलकर अरुणाचल जाने वाली शराब की तस्करी के लिए काम करता है. सस्ती दर वाली शराब चंडीगढ़ से मंगवाकर रांची में रिपैकेजिंग करवाकर बिहार और रांची के लोकल बाजार में बेची जाती है. इसके लिए उसने ट्रांसपोर्ट, सप्लायर सहित पूरा नेटवर्क तैयार कर रखा है.
सस्ती कीमत की शराब चंडीगढ़ से निकलकर गढ़वा, पलामू, लातेहार, कुड़ू के रास्ते घुसकर रांची तक पहुंचती है जबकि संबंधित सप्लायर के पास अरुणाचल प्रदेश जाने के लिए पास भी बना होता है. उत्पाद विभाग और पुलिस इस पूरे नेटवर्क को खंगालने में जुटी है. प्रसून के खिलाफ बिहार में भी कई मामले दर्ज हैं, जिसे उत्पाद विभाग और पुलिस की टीम खंगाल रही है.
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अरुणाचल प्रदेश के अधिकारियों की मिलीभगत
बिहार-झारखंड में अवैध शराब की तस्करी में अरूणाचल के उत्पाद विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता है. झारखंड पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि राज्य में बिहार से सटे जिलों के साथ-साथ बिहार में बड़े पैमाने पर शराब तस्करी कराने वाले गिरोह ने अंतरराज्यीय जाल फैला रखा है.
गिरोह के सदस्य चंड़ीगढ़ से पैकेजिंग कर अरूणाचल प्रदेश भेजे जाने वाली शराब को महंगे ब्रांड के बोतल में भरते हैं, इसके बाद इसकी सप्लायी बिहार-झारखंड में की जाती है. जांच में यह बात सामने आयी है कि कोलकाता के गिरोह के जरिए महंगी ब्रांड का स्टीकर लगाया जाता है, जिसे महंगे ब्रांड के बोतलों में चिपकाया जाता है. इसके बाद सस्ती शराब को बोतलों में भरकर पैकेजिंग कर महंगे दाम में बेचा जाता है.
कैसे खुला राज
रांची पुलिस ने जुलाई महीने में पिठोरिया इलाके में छापेमारी की थी. छापेमारी में बड़े पैमाने पर चंडीगढ़ में बनकर अरूणाचल प्रदेश भेजी जाने वाली शराब बरामद की गई थी. जांच के क्रम में रांची पुलिस की टीम चंडीगढ़ और अरूणाचल प्रदेश गई. शराब के बार कोड समेत अन्य चीजों से पता चला कि झारखंड पुलिस की ओर से बरामद शराब की खेप की रिसिविंग अरूणाचल प्रदेश में उत्पाद विभाग के सहायक आयुक्त की ओर से दिखायी गई है, जबकि शराब की खेप बाहर पहुंच गई थी.
पुलिस ने मामले में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की तब अरूणाचल प्रदेश के अफसरों समेत गिरोह की कार्यशैली का खुलासा हुआ. आरोपियों की स्वीकारोक्ति के आधार पर पुलिस सरकारीकर्मियों की भूमिका की जांच कर रही है.आरोपियों ने स्वीकार किया कि रांची, हजारीबाग, कोडरमा, दुमका समेत बिहार के लगभग सभी सीमावर्ती जिलों से शराब की खेप बिहार भेजी जाती है. महंगे शराब की बोतलों को कबाड़ी से खरीदकर उसी में कोलकाता से आए नकली स्टीकर चिपकाया जाता है. मामले में रांची पुलिस ने बरामद शराब के सैंपल को जांच के लिए एफएसएल भी भेजा है.
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ईडी ने भी दर्ज किया है मामला
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी राज्य भर में शराब व नशे के कारोबार में शामिल लोगों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. चंडीगढ़ से सस्ती शराब खरीद कर इसकी बॉटलिंग कर महंगी शराब में करके बेचने वालों पर भी ईडी ने मामला दर्ज किया है. सभी मामलों में अवैध नशे के कारोबारियों को मनी लाउंड्रिंग के केस में आरोपी बनाया गया है. ईडी ने जिन 30 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है, उनके तार एक दूसरे से जुड़े रहे हैं. पूर्व में दर्ज कांडों में चार्जशीट के आधार पर ईडी ने मनी लाउंड्रिंग का केस दर्ज किया है.
मिलता रहा है पुलिस का संरक्षण
पुलिस भले ही यह दावा कर रही है कि वह शराब के अवैध कारोबारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही है, लेकिन इन सब के बीच एक कड़वी हकीकत यह भी है कि शराब कारोबारियों को संरक्षण देने का काम पुलिस वाले भी करते रहे हैं. राजधानी रांची के अधिकांश ढाबों और होटलों में अवैध शराब परोसी जाती है और यह सब कुछ थाने को सेट करके किया जाता है.
इस मामले को लेकर पुलिस मुख्यालय काफी गंभीर है. आईजी अभियान सह पुलिस प्रवक्ता अमोल होमकर के अनुसार सीनियर अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि वे रेगुलर थाना का विजिट करते रहें और अपने जूनियर अधिकारियों पर नजर रखें. डीआईजी के अनुसार इन मामलों में अगर कोई भी अधिकारी दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी पहले की गई है और अगर नए मामले सामने आते हैं तो ऐसे अधिकारियों पर आगे भी कार्रवाई की जाएगी.