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रांची में जमीन की फर्जी डीड के जरिए 1.44 करोड़ का फर्जीवाड़ा, PNB ने दर्ज कराई FIR

रांची में पंजाब नेशनल बैंक की अरगोड़ा शाखा ने जमीन की फर्जी डीड के जरिए करोड़ों रुपये गबन करने को लेकर एफआइआर दर्ज की गई है. गबन का आरोप दो व्यवसायियों पर लगाया गया है.

pnb filed fir against land scam in ranchi
अरगोड़ा थाना

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Published : Mar 26, 2021, 8:19 AM IST

रांची: राजधानी में पंजाब नेशनल बैंक की अरगोड़ा शाखा की ओर से फर्जी डीड के जरिए लोन लेकर 1.44 करोड़ रुपये गबन करने के मामले में एफआइआर दर्ज कराई गई है. गबन का आरोप दो व्यवसायी अश्वनी शर्मा और मनोज कुमार पर लगाते हुए एफआइआर दर्ज कराई गई है.

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क्या है पूरा मामला

दोनों व्यवसायियों ने व्यवसाय को बढ़ाने के नाम पर बैंक से फर्जी डीड के जरिए लोन लिया. जिसके बाद न तो किस्त जमा की और न ही नोटिस का जवाब दिया. यहां तक कि कार्यालय बंदकर दोनों फरार हो गए. इसके बाद पीएनबी के अरगोड़ा शाखा के मुख्य प्रबंधक राकेश कुमार ने अरगोड़ा थाने में दोनों आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है. जिसमें आरोप लगाया गया है कि दोनों आरोपियों ने बैंक को धोखा देने और पब्लिक मनी हड़पने की नीयत से लोन लिया था. जिसकी अदायगी नहीं की.

शाखा प्रबंधक की ओर से दिए गए आवेदन में कहा गया है कि कोकर इंडस्ट्रीयल एरिया निवासी अश्वनी शर्मा और उसकी मां राधा देवी ने मेसर्स श्रीनिवास ऑटोमोबाइल के व्यापार को बढ़ाने के लिए 2016 में पीएनबी से 1.06 करोड़ रुपये लोन लिया था. लोन के आदेवन के साथ दोनों ने अपनी एक जमीन की लीज डीड बैंक में जमा किया था. इसी आधार पर बैंक ने दोनों को लोन दिया. 2018 में राधा देवी की मौत होने के बाद लोन अश्विनी शर्मा और मनोज कुमार के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया. इस एग्रीमेंट पर दोनों ने हस्ताक्षर भी किया. दोनों पर कुल ब्याज को मिलाकर कुल 1.44 करोड़ रुपये बकाया हो चुका है.

कार्यालय मिला बंद
मुख्य प्रबंधक ने बताया कि लोन लेने के बाद दोनों ने किस्त का भुगतान ही नहीं किया. जिसके बाद दोनों को बैंक की ओर से लगातार नोटिस भी भेजा गया, लेकिन दोनों ने न तो नोटिस का जवाब दिया और न ही फोन पर बात ही की. यहां तक कि किस्त जमा भी नहीं किया. जिसके बाद बैंक अफसरों की टीम उनके नाइल कॉम्प्लेक्स कांटा टोली स्थित कार्यालय गए तो वह भी बंद मिला. दोनों व्यवसायियों का कार्यालय बंद मिलने के बाद बैंक को संदेह हुआ. जिसके बाद बैंक अफसरों की टीम ने दोनों की ओर से दिए गए डीड की निबंधन कार्यालय से जांच करायी गई, तब पता चला कि जमा डीड फर्जी है.

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