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पेट्रोल-डीजल में लुट रही आम लोगों की कमाई, जनता मांगे महंगाई से रिहाई

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Published : Feb 20, 2021, 6:34 PM IST

Updated : Feb 21, 2021, 11:03 PM IST

आम लोगों की जिंदगी से लेकर देश की अर्थव्यस्था की रफ्तार तक पेट्रोल-डीजल पर निर्भर है, लेकिन इन दिनों जिस तरह से इसकी कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, उससे जनता का बजट खराब हो गया है.

petrol price rise
petrol price in Jharkhand

रांचीः झारखंड में पेट्रोल ₹ 88.14 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है जबकि ठीक एक साल पहले इसकी कीमत 70.54 रुपए थी. इसी तरह एक लीटर डीजल के लिए 85 रुपए 67 पैसे देने पड़ रहे हैं जबकि एक साल पहले इसकी कीमत करीब 69.68 रुपए थी. यानी एक साल के अंदर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में करीब 17 रुपए की बढ़ोतरी हो गई. इस साल फरवरी महीने में ही 14 बार दाम बढ़ाए जा चुके हैं. पेट्रोल-डीजल की कीमतें आग के जैसे बढ़ती जा रही है, जिसका खामियाजा आम लोगों से लेकर किसान और कारोबारियों तक को भुगतना पड़ रहा है.

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जनता कर रही त्राहिमाम

आम लोगों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें हमारे रोजमर्रा की जिंदगी को सीधा प्रभावित करती हैं. व्यापार पर इसका सीधा असर पड़ता है क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट की वजह से ग्राहकों से ज्यादा पैसे लेने पड़ते हैं. रोजमर्रा के काम करने वालों के अनुसार बढ़ते दाम अमीर लोगों की जेब पर ज्यादा असर नहीं करते लेकिन जो लोग रोज कमाने खाने वाले हैं, उन्हें पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत का असर झेलना पड़ता है. वहीं किसानों की अपनी परेशानी हैं. एक तो लॉकडाउन की वजह से पहले से ही खेती प्रभावित हुई है, उपज का जितना मूल्य मिलना था वह नहीं मिल पाया, तो दूसरी ओर सिंचाई में डीजल खर्च होने से खेती की लागत बढ़ती जा रही है.

पेट्रोल के दाम की तुलना

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राज्य सरकार के पाले में गेंद

भाजपा सांसद सह वित्त संबंधी संसदीय स्थाई समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा ने ईटीवी भारत को कहा कि फ्यूल की कीमतें इंटरनेशनल मार्केट पर आधारित हैं. इसमें राज्य सरकार चाहे तो लोगों को रियायत दे सकती है.

डीजल के दाम की तुलना

भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि जिस तरह से सरकार ने शराब पर से टैक्स को हटा दिया है. उसी तरह जनता को राहत देने के लिए पेट्रोल-डीजल पर भी वैट में कमी लानी चाहिए.

केंद्र सरकार पर फोड़ा ठीकरा

झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का कहना है कि राज्य सरकार के पास है क्या. राज्य को वैट और एक्साइज से ही आमदनी होती है, बाकी तो जीएसटी के दायरे में चला जाता है. पूर्व की सरकार ने इस राज्य का खजाना पूरी तरह से खाली कर दिया है. केंद्र सरकार जीएसटी का पैसा देने में भी आनाकानी कर रही है. ऐसे में वैट की कटौती संभव नहीं. उन्होंने जयंत सिन्हा पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें यह नहीं पता कि पेट्रोल की कीमत कैसे नियंत्रित होती है, उन्हें फिर से पढ़ने की जरूरत है.

राजद के प्रदेश अध्यक्ष अभय कुमार सिंह ने कहा कि बीजेपी के कार्यकाल में पेट्रोल-डीजल की कीमतों ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है और रसोई का बजट बिगाड़ दिया है फिर भी सभी चुप हैं. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि बीजेपी गरीब विरोधी सरकार है.

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कैसे तय होती है कीमत

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम और विदेशी मुद्रा दरों के आधार पर हर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है. पेट्रोल-डीजल के दाम में सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, वैट, सेस और डीलर कमीशन जोड़ने के बाद इसका दाम लगभग दोगुना हो जाता है. नई दरें सुबह 6 बजे से ही लागू हो जाती हैं.

फ्यूल की कीमतों को प्रभावित करने वाले कारक

क्यों बढ़ रहे हैं दाम

जानकारों की मानें तो कोरोना के बाद अब एक बार फिर से दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियां तेज हुई हैं, जिससे कच्चे तेल का भाव लगातार बढ़ रहा है. इसके साथ ही विदेशी मुद्रा की दरें भी बड़ी वजह है. बीते साल पेट्रोल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी 19.98 रुपए थी, जो अब 32.98 रुपए हो चुकी है. इसी तरह डीजल पर सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी 15.83 रुपए से बढ़ाकर 31.83 रुपए प्रति लीटर कर दी गई. इसके अलावा है. केंद्र के बाद राज्य सरकार वैट लगाती है. झारखंड में 22 प्रतिशत वैट जोड़ा जाता है. इसके अलावा एक रुपए प्रति लीटर सेस भी लिया जाता है.

पेट्रोल की कीमत का आधार

जैसे यदि पेट्रोल का बेस प्राइस 31.82 रुपए है. इस पर 32.98 रुपए सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, 14.25 रुपए वैट, 1 रुपए सेस और 3.25 रुपए डीलर कमीशन लगने के बाद इसकी कीमत 83.30 रुपए प्रति लीटर हो जाती है. बहरहाल, पेट्रोल-डीजल की कीमतों को बाजार के हवाले कर दिया गया है. बढ़ती कीमतों पर केंद्र और राज्य सरकार एक-दूसरे पर दोष मढ़ रही हैं और इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है.

Last Updated : Feb 21, 2021, 11:03 PM IST

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