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सिविल जज जूनियर डिविजन परीक्षा में साक्षात्कार के लिए 20 नंबर लाने को हाई कोर्ट ने माना सही, अदालत ने याचिका की खारिज - सिविल जज जूनियर डिविजन की परीक्षा

सिविल जज जूनियर डिविजन नियुक्ति मामले में साक्षात्कार के लिए 20 अंक निर्धारित करना और कम से कम 10 अंक प्राप्त करने की अनिवार्यता को हाई कोर्ट ने सही माना है. हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की बेंच में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुनने के उपरांत अदालत ने मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया है.

Petition dismissed in the appointment of Civil Judge Junior Division by highcourt
झारखंड हाई कोर्ट

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Published : May 21, 2020, 12:01 AM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में जेपीएससी द्वारा सिविल जज जूनियर डिविजन नियुक्ति मामले में साक्षात्कार के लिए 20 अंक निर्धारित करने और कम से कम 10 अंक प्राप्त करने की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की.

वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और सरकार के अधिवक्ता जेपीएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने अपने घर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपना पक्ष रखा. सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि यह परीक्षा में भाग लिए और जब ये उत्तीर्ण नहीं हो सकें तब यह जेपीएससी के इस विज्ञापन को चुनौती दिए हैं, जो कि गलत है इसलिए इनकी याचिका को खारिज कर दिया जाए.

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अदालत ने जेपीएससी के जवाब पर अपनी संतुष्टि जाहिर करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि इस तरह की अनिवार्यता उचित नहीं है. जेपीएससी के द्वारा साक्षात्कार में 20 अंक निर्धारित किए गए थे, जिसमें से सामान्य कोटि के उम्मीदवार को 10 अंक लाना अनिवार्य, ओवैसी के उम्मीदवार को 8 अंक लाना अनिवार्य और sc-st उम्मीदवार को 6 अंक लाना अनिवार्य किया गया था.

जेपीएससी का कहना था कि इन्हें अगर यह उचित नहीं लगा तो पूर्व में ही याचिका दायर करनी चाहिए. परीक्षा के परिणाम के बाद नहीं. बता दें कि वर्ष 2008 में सिविल जज जूनियर डिविजन की नियुक्ति के लिए जेपीएससी ने विज्ञापन निकाला था. इसमें दिनेश कुमार सिंह पीटी और मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, लेकिन उन्हें साक्षात्कार में न्यूनतम 10 अंक लाने की अनिवार्यता प्राप्त नहीं कर पाए. उन्हें साक्षात्कार में केवल 8 अंक आए, जिसके कारण वे पास नहीं हुए. उसके बाद उन्होंने विज्ञापन को चुनौती दी थी. उसी याचिका पर सुनवाई के दौरान उनकी याचिका को खारिज कर दिया.

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