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RIMS में 5 रुपये की दवा मरीज 50 रुपये में खरीदने को मजबूर, जानिए क्यों?

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Published : Aug 29, 2021, 8:12 PM IST

रिम्स में 20 अगस्त से सस्ती दवा की दुकान 'दवाई दोस्त' (Dawae Dost) को बंद करा दिया गया है. जिस सरकारी जन औषधि केंद्र (Jan Aushadhi Kendra) का हवाला देकर रिम्स प्रबंधन ने दवाई दोस्त दुकान को बंद करवाया है. वहां केवल 70 किस्म की दवा ही उपलब्ध है. जिसके कारण मरीजों के परिजनों को बाहर से दवा खरीदना पड़ रहा है.

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रिम्स

रांची: झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में नियमों का हवाला देकर 20 अगस्त से सस्ती दवा की दुकान 'दवाई दोस्त' (Dawae Dost) को बंद करा दिया गया, लेकिन राज्य भर से इलाज कराने के लिए रिम्स पहुंचने वाले मरीजों को सस्ती दवा कैसे मिल सके इसकी व्यवस्था करने में रिम्स प्रबंधन विफल रहा है. जिस सरकारी जन औषधि केंद्र (Jan Aushadhi Kendra) का हवाला देकर रिम्स प्रबंधन यह कहते नहीं थकते कि व्यवस्था चुस्त दुरुस्त है, वहां की स्थिति यह है कि 1500 तरह की दवा की जगह महज 70 किस्म की दवा ही रिम्स में उपलब्ध है.

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बीपी, शुगर और गैस तक कि दवा उपलब्ध नहीं


रिम्स परिसर में चल रहे दवाई दोस्त से गरीब मरीजों को 85% तक छुट के साथ सस्ते दर पर हर तरह की दवाई मिल जाती थी, लेकिन नियमों का हवाला देकर रिम्स प्रबंधन ने बिना कुछ सोचे समझे 20 अगस्त 2021 से जेनेरिक दवाओं की दुकान को बंद करा दिया. प्रबंधन प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना को ही मुश्किल से 70 किस्म की दवा उपलब्ध कराकर यह दावा करने लगा कि व्यवस्थाएं ठीक हो गई है, लेकिन कई तरह की सुपर स्पेशलिटी सेवा जिस अस्पताल में चल रहा है, वहां जब सर्दी, खांसी, एलर्जी तक की दवा नहीं है तो कैंसर, न्यूरो सर्जरी और अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों की दवा कहां से मिल सकेगी. नतीजा यह है कि अब मरीज जन औषधि केंद्र से बैरंग लौट कर महंगी दवा खरीदने को मजबूर हैं.

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न्यायालय की मॉनिटरिंग के बावजूद स्थिति ठीक नहीं


रिम्स जन औषधि मामले पर दायर एक PIL की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में चल रही है. न्यायालय ने गरीबों को मिलने वाली सस्ती जेनेरिक दवा को लेकर सख्त रुख अख्तियार किया है. बावजूद इसके रिम्स प्रबंधन की उदासीनता और अदूरदर्शी सोच का खामियाजा मरीज और उनके परिजन भुगत रहे हैं.

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