रांचीः झारखंड की अदालतों में वर्तमान और पूर्व सांसदों व विधायकों के खिलाफ 142 मामले पेंडिंग हैं. इनमें से 86 मामलों में वर्तमान सांसद और विधायक आरोपी हैं. झारखंड के 5 सांसदों, और 44 विधायकों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. इन जनप्रतिनिधियों पर दुष्कर्म, हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, रंगदारी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे गंभीर आरोप हैं.
जनप्रतिनिधियों के खिलाफ 142 केस पेंडिंग
चुनाव आयोग को दिए गए शपथपत्र के अनुसार गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ 4 आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं जमशेदपुर से भाजपा सांसद विद्युतवरण महतो के खिलाफ 3 आपराधिक मामले दर्ज हैं. सिंहभूम लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा के खिलाफ 1 और गिरिडीह से आजसू पार्टी के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के खिलाफ 2 आपराधिक मामले दर्ज हैं. लोकसभा के 4 सांसदों के साथ राज्यसभा के 1 सदस्य भाजपा के दीपक प्रकाश के खिलाफ 1 आपराधिक केस दर्ज है.
5 सांसदों के खिलाफ आपराधिक केस वर्तमान विधानसभा में दागी विधायक
झारखंड विधानसभा के लिए साल 2019 में निर्वाचित 81 विधायकों में 44 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें 34 विधायकों पर गंभीर आरोप के मामले दर्ज किए गए हैं जबकि 10 विधायकों पर अन्य अपराधिक मामले दर्ज हैं. चुनाव आयोग को दिए गए शपथपत्र, झारखंड इलेक्शन वॉच, झारखंड अगेंस्ट करप्शन और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स के अनुसार साल 2014 के विधानसभा में दागी विधायकों की संख्या की तुलना में 2019 में निर्वाचित विधायकों में दागियों की संख्या में कमी आई है. साल 2014 में झारखंड विधानसभा के लिए चुने गए 81 विधायकों में से 55 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज थे. यह आंकड़ा वर्तमान विधानसभा में चुने गए विधायकों से 14 अधिक हैं. अगर इसे हम प्रतिशत के हिसाब से देखें तो वर्तमान विधानसभा में 54% विधायक दागी हैं जबकि 2014 के विधानसभा में चुने गए विधायकों में दागी विधायकों की संख्या 68% थी.
2014 के मुकाबले 2019 में कम दागी विधायक
किस पार्टी में कितने दागी विधायक
झारखंड मुक्ति मोर्चा के 30 में 17 विधायक दागी हैं. कांग्रेस के 15 में 8 विधायकों पर आपराधिक मुकदमे हैं. झारखंड विकास मोर्चा की टिकट पर जीते तीन में से तीनों विधायक दागी हैं. फिलहाल जेवीएम का एक विधायक भाजपा में और दो विधायक कांग्रेस में चले गए हैं. भारतीय जनता पार्टी के 25 में 12 विधायक दागी हैं. आजसू के दो विधायक में एक दागी हैं. जबकि भाकपा माले और राष्ट्रीय जनता दल दोनों के एक-एक विधायक भी दागी हैं. इसी तरह नेशनल कांग्रेस पार्टी पार्टी यानी एनसीपी के इकलौते विधायक भी दागी हैं. इनके अलावा निर्दलीय विधायक पर भी आपराधिक मुकदमा दर्ज है.
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इन आंकड़ों के अनुसार झारखंड मुक्ति मोर्चा के 57% विधायक दागी हैं. कांग्रेस के 50% विधायक दागी हैं. भारतीय जनता पार्टी के 48% विधायक दागी हैं. आजसू के 50% विधायक दागी हैं. झाविमो जो वर्तमान में अस्तित्व में नहीं है उसके 100% विधायक दागी हैं. इसके अलावा नेशनल कांग्रेस पार्टी राष्ट्रीय जनता दल और भाकपा माले के 100% विधायक दागी हैं.
झारखंड के 54% विधायक दागी
इन दागी विधायक पर गंभीर आरोप
झारखंड मुक्ति मोर्चा के 30 में 12 विधायक गंभीर मामलों में आरोपी हैं. प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो 40% विधायक पर गंभीर आरोप चल रहे हैं. कांग्रेस के 15 में 8 विधायक दागी हैं. यानी कांग्रेस के 50 प्रतिशत विधायक पर गंभीर आरोपों पर आधारित केस दर्ज हैं. भारतीय जनता पार्टी के 25 में 9 विधायक पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. ये आंकड़ा 36 प्रतिशत होगा. इसके अलावा झाविमो, राजद और भाकपा माले के विधायक पर भी गंभीर आरोप दर्ज हैं.
34 विधायकों पर गंभीर आरोप के मामले
साल 2014 के दागी विधायकों का विवरण
विधानसभा चुनाव 2014 के समय चुने गए विधायक और पूर्व विधायकों पर कितने मामले दर्ज हैं, इसको लेकर साल 2018 में झारखंड सरकार के द्वारा हाई कोर्ट में आंकड़ा पेश किया गया था. इसके अनुसार विधायक नवीन जायसवाल पर एक, अमित कुमार महतो पर 3, सरयू राय पर 1, जानकी प्रसाद यादव पर 1, एनोस एक्का पर 4, हेमंत सोरेन पर 4, साधु चरण महतो पर 3, एस चौधरी पर 1, देवेंद्र कुमार सिंह पर 2, कुशवाहा शिवपूजन मेहता पर 3, भानु प्रताप पर 1, निर्मला देवी पर 9, योगेंद्र प्रसाद महतो पर एक, राजकुमार यादव पर एक, ढुल्लू महतो पर एक (अब पांच), संजीव सिंह पर 2, जगरनाथ महतो पर 1, सीता सोरेन पर 1, लुईस मरांडी पर 1, डॉक्टर इरफान अंसारी पर 4, सत्यानंद झा बाटुल पर 1 , विष्णु प्रसाद भैया पर 1, राज पलिवार पर 1, रणधीर कुमार सिंह पर 1, नारायण दास पर 1, ताला मरांडी पर 1 , प्रदीप यादव पर 7 और अशोक भगत पर 2 मामले दर्ज हैं.
झारखंड के बाहुबली
दागी जनप्रतिनिधियों की लिस्ट में शामिल कुछ विधायक बेहद कद्दवार नेता माने जाते हैं. यहां तक की उन्हें सरकार में मंत्री पद तक दिया गया है. कुछ बाहुबली जनप्रतिनिधि पार्टी में बड़ा ओहदा संभाल रहे हैं.
आपराधिक केस के बावजूद बड़ा पद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनाव आयोग को जो शपथ पत्र दिया था, उसके अनुसार उनके खिलाफ 2 आपराधिक मामले दर्ज हैं. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता कांग्रेस के टिकट पर जमशेदपुर पश्चिम सीट से चुनाव जीते हैं. इन पर मारपीट और सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में 4 मामले दर्ज हैं. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर गढ़वा से झामुमो विधायक हैं. मिथिलेश कुमार ठाकुर के खिलाफ हत्या, मारपीट और चुनाव को प्रभावित करने के आरोप में 2 मामले दर्ज हैं. गिरिडीह के डुमरी सीट से झामुमो विधायक राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के खिलाफ भी 3 मामले दर्ज हैं. इसके साथ ही राजद के इकलौते चतरा से विधायक सत्यानंद भोक्ता श्रम मंत्री हैं और इनके खिलाफ एक मुकदमा दर्ज है. विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी पर कुल 9 मामले दर्ज हैं. इन पर धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करने, साजिश रचने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप है.
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झाविमो से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक प्रदीप यादव पर धोखाधड़ी, दुष्कर्म और छेड़खानी जैसे गंभीर आरोपों के साथ सबसे ज्यादा 14 मुकदमे दर्ज हैं. इसके बाद पलामू के पांकी विधानसभा सीट से भाजपा विधायक कुशवाहा शशि भूषण मेहता पर हत्या, हत्या के प्रयास और मारपीट के11 मामले दर्ज हैं. तीसरे नंबर पर नाम है बंधु तिर्की का. पूर्व खेल मंत्री बंधु तिर्की झाविमो की टिकट पर मांडर से चुनाव जीते थे और फिर कांग्रेस में शामिल हो गए. इन पर कुल 10 मामले दर्ज हैं.
महिला विधायकों पर दर्ज आपराधिक केस
बाहुबली विधायकों में महिला विधायकों का नाम भी शुमार है. इन पर हत्या के प्रयास, अपहरण, मारपीट, दंगा भड़काने और धोखाधड़ी जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं. हजारीबाग से कांग्रेस विधायक ममता देवी के खिलाफ 4 आपराधिक मामले दर्ज हैं. जामताड़ा के नाला से झामुमो विधायक सीता मुर्मू पर 3 मामले हैं. गोड्डा जिले के महगामा सीट से कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह के खिलाफ 2 मामले दर्ज हैं. इसी तरह हजारीबाग जिले के मांडू से कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद और धनबाद की निरसा सीट से भाजपा विधायक अपर्णा सेन गुप्ता के खिलाफ एक-एक मामला दर्ज है.
लालू यादव के खिलाफ दर्ज मामले
लालू प्रसाद यादव
झारखंड के कई जनप्रतिनिधियों के मामले देशभर में सुर्खियां बटोर चुके हैं. इस फेहरिस्त में सबसे पहले नाम आता है बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का. लालू यादव के खिलाफ झारखंड में चारा घोटाला के 4 मामले चल रहे हैं, जिसमें से तीन मामले में सजा दी गई है. चाईबासा कोषागार से अवैध तरीके से 37.7 करोड़ और 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के मामले में अदालत ने 3 अक्टूबर 2013 को 5-5 साल की सजा सुनाई थी. 23 दिसंबर 2017 को देवघर कोषागार से 84.53 लाख रुपए की अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई. 24 मार्च 2018 को दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के मामले में 2 अलग-अलग धाराओं में लालू को 7-7 साल की सजा और 60 लाख जुर्माना लगाया गया. लालू की ये तीनों सजा एक साथ चल रही है. 23 दिसंबर 2017 से वे जेल में हैं और रिम्स में इलाज करवा रहे हैं. फिलहाल उन्हें रिम्स निदेशक के बंगले में रखा गया है. चाईबासा और देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामला में उन्हें हाईकोर्ट से पूर्व में जमानत मिली हुई है. दुमका कोषागार निकासी मामले में अभी जमानत याचिका दायर नहीं की गई है. साथ ही डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामला पर सीबीआई की अदालत में सुनवाई चल रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा
मधु कोड़ा
झारखंड के निर्दलीय मुख्यमंत्री रहे मधु कोड़ा की मुश्किलें भी फिलहाल कम नहीं हुई हैं. राजहरा उत्तर कोयला ब्लॉक के आवंटन में भ्रष्टाचार के लिए पूर्व सीएम कोड़ा को पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है. निचली अदालत ने 2017 में उन्हें कोलकाता की कंपनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड को झारखंड में कोल ब्लॉक के आवंटन मामले में भ्रष्टाचार और साजिश का दोषी ठहराया था. दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सीबीआई की विशेष अदालत ने दिसंबर 2017 में मधु कोड़ा को 3 साल की सजा सुनाई थी. अंतरिम जमानत के प्रावधान के कारण जमानत मिल गई. मधु कोड़ा समेत सात आरोपियों के खिलाफ 3633.11 करोड़ रुपए और 24.30 लाख यूएस डॉलर की मनी लाउंड्रिंग का आरोप है. ईडी ने अक्तूबर 2009 में मुकदमा दर्ज किया था. सितंबर 2012 में मधु कोड़ा समेत सात आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किया गया. सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई जारी है. जुलाई 2020 में सीबीआई ने झारखंड सरकार से इलेक्ट्रोस्टील कास्टिंग लिमिटेड से जुड़े कोयला घोटाले के मामले में मधु कोड़ा और पूर्व खनन सचिव जय शंकर तिवारी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी है.
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एनोस एक्का
झारखंड पार्टी से पूर्व विधायक एनोस एक्का को साल 2014 में पारा शिक्षक मनोज कुमार के अपहरण और हत्या के मामले में सिमडेगा की निचली अदालत ने 2018 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद एनोस एक्का को 20 करोड़ की मनी लाउंड्रिंग का दोषी पाते हुए ईडी की अदालत ने अप्रैल 2020 में सात साल जेल और दो करोड़ जुर्माने की सजा सुनायी थी. एनोस एक्का ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की है. हाईकोर्ट ने सितंबर 2020 में निचली अदालत से रिकॉर्ड मांगा है. रांची के होटवार जेल में बंद पूर्व मंत्री एनोस एक्का एक अक्टूबर को एक महीने के पेरोल पर बाहर आए हैं.
संजीव सिंह
झरिया से भाजपा के पूर्व विधायक पर हत्या का आरोप है. 21 मार्च 2017 को धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. नीरज सिंह तत्कालीन भाजपा विधायक संजीव सिंह के चचेरे भाई थे. 11 अप्रैल 2017 को गिरफ्तारी के बाद से संजीव सिंह तीन साल से धनबाद जेल में बंद हैं. धनबाद पुलिस ने इस मामले में 11 आरोपियों के खिलाफ 4 जनवरी 2019 को आरोप पत्र दायर कर दिया है. धनबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जारी है.
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त्वरित सुनवाई के लिए पहल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में माननीयों पर दर्ज आपराधिक मामलों के त्वरित निष्पादन के लिए झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार की ओर से दो फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया गया है. इसमें एक कोर्ट रांची जिला में है, जहां 13 जिले के विधायकों के केस की सुनवाई की जा रही है. दूसरा फास्ट ट्रैक कोर्ट धनबाद में गठित किया गया है, जहां 11 जिले से संबंधित विधायकों के केस की सुनवाई चल रही है. 2018 में गठित दोनों कोर्ट में कुल 14 मामले निष्पादित हुए हैं. इनमें दस मामलों में विधायक बरी हुए हैं जबकि चार मामलों में कोर्ट को फैसला सुनाना है.
फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई विधानसभा सत्र के दौरान विधायक प्रदीप यादव ने सदन में मामले को उठाते हुए मुख्यमंत्री से पूछा था कि सिर्फ दो जिलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट लगाकर मामलों की सुनवाई से भारी परेशानी होगी. क्योंकि विधायक अपने क्षेत्र में होते हैं ऐसे में उन्हें हर सुनवाई पर रांची या धनबाद आना होगा. ऐसा नहीं होने से मामलों की सुनवाई टलती रहेगी. इसलिए जिलास्तर पर भी विशेष कोर्ट स्थापित कर सुनवाई की सुविधा दी जानी चाहिए. हालांकि इसपर कुछ नहीं हुआ.