रांची:आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है. इसके अंतर्गत गरीबों को प्रत्येक वर्ष इलाज के लिए 5 लाख रुपये सरकारी खर्च दिए जाते हैं. आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) की शुरुआत वर्ष 2018 में झारखंड की राजधानी रांची की धरती से की गई थी. लेकिन वर्ष 2021 में इस योजना का नाम बदलकर मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना कर दिया गया. इस योजना का लाभ राज्य द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर गरीब ग्रामीण और शहरी परिवारों को स्वास्थ्य बीमा योजना के रूप में दिया जाता है.
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आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना से राज्य के 57 लाख परिवारों को जोड़ा गया है. राज्य में कुल 825 अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध है. जिसमें 220 राज्य सरकार के अस्पताल हैं, 55 भारत सरकार के अस्पताल हैं और 550 निजी अस्पताल शामिल हैं. झारखंड में अब तक इस योजना के अंतर्गत करीब एक हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. वहीं लगभग 10 लाख लोगों को इसका लाभ मिला है.
निजी अस्पतालों में इलाज के लिए मरीजों को करनी पड़ती है मशक्कत
निजी हॉस्पिटलों में अभी भी आयुष्मान भारत योजना का लाभ मरीजों को पूरी तरीके से नहीं मिल पा रहा है. निजी अस्पतालों के संचालक डॉ शंभू प्रसाद और डॉ सुधीर बताते हैं कि आयुष्मान भारत योजना गरीबों के लिए लाभकारी है. लेकिन इसमें निजी अस्पतालों के हित पर कम ध्यान दिया गया है. अस्पताल संचालकों की मानें तो आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों के इलाज के लिए जो रकम अस्पताल को दी जाती है, वह वास्तविक खर्च से काफी कम है. उदाहरण के तौर पर आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत आईसीयू में भर्ती मरीजों के लिए अस्पताल को सभी जांच और दवा के साथ 2600 रुपये दिए जाते हैं. जबकि वास्तविक खर्च अधिक है.
निजी अस्पतालों को राशि लेने में करना पड़ता है इंतजार
वहीं कई अस्पताल संचालकों ने कैमरे पर बोलने से मना कर दिया. लेकिन उन्होंने कहा कि कई बार अस्पतालों को आयुष्मान भारत की राशि लेने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. जिस वजह से भी निजी अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का इलाज करना नहीं चाहते हैं. रांची में अपने मरीज का आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज कराने के बाद एक पीड़ित ज्ञान प्रकाश बताते हैं कि झारखंड के कई निजी अस्पताल आयुष्मान भारत योजना का नाम सुनते ही इलाज नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि सभी अस्पतालों में ज्यादा से ज्यादा बीमारियों के लिए आयुष्मान भारत योजना को लागू करवाएं, ताकि सभी अस्पताल में मरीज किसी भी तरह का इलाज सरकारी खर्च पर करा सके.
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