रांची: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सस्ते जेनेरिक दवा के हिमायती हैं. लेकिन झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में इलाज कराने आने वाले मरीजों को सस्ते नहीं, बल्कि महंगे दामों में दवा कैसे मिले इसकी व्यवस्था प्रबंधन ने कर दिया है. रिम्स परिसर में पिछली रघुवर सरकार ने एक निजी जेनेरिक दवा की दुकान खोलने की इजाजत दे दी थी. जिसे इस सरकार में नियम विरुद्ध बताकर 20 अगस्त को ही बंद करा दिया.
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वर्तमान हेमंत सरकार ने यह भरोसा दिलाया था कि जिस तरह निजी जेनेरिक दवा दुकान से 1500 किस्म की दवा मिल जाया करती थी, उसी तरह प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के तहत टेंडर कर दवा दुकान खुल जाएगा. जिसके बाद मरीजों और उनके परिजनों को कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. चार महीने बाद भी टेंडर की प्रक्रिया का मामला फंसा है. अभी जो जन औषधि की दुकान चल रही है वहां 1500 की जगह कुछ दवा ही मिल रही है. सर्जिकल आइटम तो महज 08 से 10 हैं. नतीजा यह कि मरीजों के परिजन महंगी दवा खरीदने को मजबूर हैं. जन औषधि के फार्मासिस्ट अमित कुमार बताते हैं कि अभी दवा की डिमांड आपूर्तिकर्ता से की जाती है. लेकिन वहां से दवा समय पर मिलती ही नहीं है और हम दूसरे जगह से दवा नहीं खरीद सकते.