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EXCLUSIVE: सुनिए पद्मश्री मधु मंसूरी के लोकगीत, कोरोना को हल्के में लेने वालों के लिए सबक

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Published : Apr 16, 2020, 5:00 PM IST

Updated : Apr 17, 2020, 10:37 AM IST

देश के हर नागरिक कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. बस लड़ने का तरीका अगल है. वहीं लोक गायक अपने गानों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने में लगे हैं. सुनिए पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख की लोकगीत.

Padmashree Madhu Mansuri sang
पद्मश्री मधु मंसूरी के लोकगीत

रांची: देश से प्यार करने वाला हर शख्स अपने-अपने तरीके से यही संदेश दे रहा है कि कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन का पालन करें. वहीं कुछ लोग इस बात को नहीं समझ रहे हैं. कहीं-कहीं अफवाह और लाचारी के कारण लॉकडाउन के कायदे कानून तोड़े जा रहे हैं तो कहीं लोग इसे तफरी का जरिया बना चुके हैं.

पद्मश्री मधु मंसूरी के लोकगीत

लॉकडाउन तोड़ने वाले लोगों के साथ जरूरत पड़ने पर सख्ती भी बरती जा रही है. ऐसे में कोरोना के दुष्प्रभाव से अवगत कराने के लिए झारखंड के नागपुरी लोक गायक पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने एक गीत तैयार किया है जिसे सभी को सुनना चाहिए. उन्होंने अपने गीत के जरिए बताया कि कोरोना वायरस दुनिया के बड़े-बड़े देशों को झकझोर कर रख दिया है.

2020 में ही पद्मश्री से नवाजे गये

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन क्यों जरूरी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों बार-बार अपील कर रहे हैं कि लॉकडाउन का जरूरी से पालन करें. नागपुरी लोक गायक मधु मंसूरी हंसमुख को साल 2020 में पद्मश्री से नवाजा गया. इससे पहले उन्हें झारखंड रत्न से भी नवाजा गया था. उन्होंने झारखंड आंदोलन के वक्त कई ऐसे गीत लिखे जो सुर्खियों में रहे.

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2007 में उन्होंने एक गीत लिखा था जिसका शीर्षक था, गांव छोड़ब नाही... माय माटी छोड़ब नाहीं, जंगल छोड़ब नाहीं. यह गीत आज के परिपेक्ष में बहुत प्रासंगिक है. आज वही बात चल पड़ी है कि गांव में रहिए घर में रहिए मिट्टी के साथ जुड़े रहिए लेकिन बाहर मत निकालिए.

Last Updated : Apr 17, 2020, 10:37 AM IST

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