रांची:पद्मश्री छुटनी देवी (Padmashree Chutni Devi) का रांची एयरपोर्ट पर जबरदस्त स्वागत किया गया. झारखंड के सरायकेला (Saraikela) की रहने वाली छुटनी देवी का नाम उन 102 हस्तियों में शामिल है जिन्हें इस साल पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. छुटनी देवी को मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में हुए कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने पद्मश्री अवार्ड (Padma Shri Award) से सम्मानित किया. पद्मश्री से सम्मानित होने के बाद छुटनी देवी जब रांची पहुंची तो लोगों ने उनका खूब स्वागत किया. एयरपोर्ट पर लोगों की प्रेम को देखते हुए छूटनी देवी ने बताया कि दिल्ली में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलने के बाद उनका मनोबल और भी ऊंचा हो गया है. अब इस मनोबल के साथ ज्यादा गति के साथ समाज की सेवा करेंगी.
Padmashree Chutni Devi: पद्मश्री से सम्मानित होकर रांची लौटी छुटनी देवी, झारखंड में डायन प्रथा के खिलाफ कर रहीं काम
पद्मश्री छुटनी देवी (Padmashree Chutni Devi) का रांची एयरपोर्ट पर जबरदस्त स्वागत किया गया. अपने लिए ऐसा सम्मान देख कर छुटनी देवी भी अभिभूत हो गईं. यहां उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलने के बाद उनका मनोबल बहुत उंचा हो गया है. अब वे दोगुने उत्साह के साथ समाज सेवा करेंगी.
छुटनी देवी झारखंड में डायन प्रथा को खत्म करने पर काम कर रहीं हैं. अब तक उन्होंने 62 महिलाओं को डायन प्रथा के प्रकोप से बचाया है. आज वह झारखंड और देश की महिलाओं के लिए ताकत बन चुकी हैं. लेकिन छूटनी देवी के जीवन में एक वक्त ऐसा भी था, जब अपने ही गांव में उन्हें हद दर्जे की प्रताड़ना से गुजरना पड़ा. यह प्रताड़ना उन्हें 'डायन' होने के नाम पर दी गई. एक ऐसी प्रथा, जिसके नाम पर आज भी देश के दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को उत्पीड़न के दौर से गुजरना पड़ता है.
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छूटनी देवी एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) के सौजन्य से पुनर्वास केंद्र चलाती हैं. छूटनी देवी आशा(ASHA) की निदेशक हैं और ऐसी तमाम महिलाओं को मदद मुहैया कराती हैं, जिन्हें डायन होने के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है. उन्हें जहां से भी ऐसे मामलों की जानकारी मिलती है, वह अपनी टीम के साथ वहां पहुंच जाती हैं और फिर आरोपियों और अंधविश्वास फैलानेवालों को हवालात तक पहुंचा देती हैं.
छुटनी देवी पीड़ित महिला को पहले तो पुनर्वास केंद्र ले जाती हैं, जहां उसे हर तरह से सुरक्षा का एहसास कराया जाता है. इसके बाद फिर मामले में कानूनी कार्रवाई के बाद वह ऐसी महिलाओं को उनके घर भी पहुंचाती हैं. इस दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि महिला के साथ अब किसी तरह का दुर्व्यव्हार न हो.