रांचीः झारखंड में नशे के कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई लगातार जारी है, इसके बावजूद अफीम तस्कर लगातार सक्रिय है. झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों उगाई गई अफीम दूसरे राज्य के तस्करों के माध्यम से राज्य के बाहर भेजा जाने लगा है. झारखंड में कई राज्यों के तस्कर सक्रिय होकर तैयार अफीम को ब्राउन शुगर में तब्दील करने के लिए चोरी छुपे ले जाने में कामयाब भी हो रहे हैं. इस संबंध में सूचना मिलने के बाद झारखंड पुलिस अलर्ट पर है.
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डंप अफीम निकालने की कोशिश
झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में इस वर्ष भी बड़े पैमाने पर अफीम की खेती हुई थी. कुछ फसल चोरी-छिपे बाहर ले जाया गया, कुछ को पुलिस ने नष्ट किया जबकि लाखों की कीमत की अफीम पकड़ी भी गई. जिन-जिन इलाकों में पुलिस को जानकारी हासिल हुई, वहां कई एकड़ में लगाए गए अफीम की फसल को नष्ट भी किया गया.
इसके बावजूद खुफिया विभाग को जो जानकारी मिली है वो बेहद चौंकाने वाले हैं. मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष भी नशे के सौदागर हजारों एकड़ में अफीम की फसल उगाने में कामयाब हो गए. पुलिस अफीम की फसल को नष्ट ना कर दे इसलिए उसे डंप कर अलग-अलग जगहों पर छुपा कर रखा गया था, जिसे अब बाहर निकाला जा रहा है. अब उस अफीम को दूसरे राज्यों के तस्करों के साथ बाहर भी भेजा जाने लगा है, हालांकि इसमें तस्कर कामयाब नहीं हो पा रहे हैं लेकिन चोरी-छुपे लगातार अफीम को राज्य से बाहर भेजा जा रहा है.
मांगा गया तस्करों का विवरण
पिछले माह ही सीआईडी ने राज्य के सभी जिलों से हाल के दिनों में एनडीपीएस एक्ट में दर्ज कांडों का सारा विवरण मांगा था. इसके बाद राज्य में सभी जिलों के द्वारा 10 वर्ष में जेल गए सारे लोगों की सूची तैयार कर ली गई है. इसमें से कितने लोग लगातार सक्रिय रहे हैं, उनका विवरण भी तैयार किया गया है. साथ ही सभी जिलों को निर्देश दिया गया है कि वह अपने-अपने जिलों में ऐसे लोगों पर नजर रखें.
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कैसे कसा शिकंजा
राज्य में नशे के हर तरह के कारोबार पर पुलिस ने शुरूआती पांच महीनों में शिकंजा कसा है. जुलाई तक राज्य पुलिस ने अभियान चलाकर नशे के कारोबार करने वाले 450 लोगों को गिरफ्तार कर 300 केस दर्ज किए हैं. साल 2020 में 382 मामले दर्ज कर 524 गिरफ्तार, 2019 में 256 मामले दर्ज कर 318 गिरफ्तार, 2018 में 237 मामले दर्ज कर 301 गिरफ्तार, 2017 में 186 मामले दर्ज कर 186 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
इस साल अलग-अलग अभियान चलाकर पुलिस ने 833.126 किलोग्राम गांजा, 237.168 किलोग्राम अफीम, 15383.27 ग्राम डोडा, 1420.892 ग्राम ब्राउन सुगर व 536 पुडिया व 6.215 ग्राम हेरोइन बरामद किया है.
अब तक कितनों पर हुई कार्रवाई
झारखंड सीआईडी के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल मई महीनें तक पुलिस ने राज्यभर में 2006.60 एकड़ जमीन से अफीम की खेती नष्ट की है. वहीं साल 2020 में पुलिस ने साल भर में राज्यभर में 1838.72 एकड़ से अफीम की खेती नष्ट की थी. खूंटी में सर्वाधिक 951.89 एकड़ से अफीम की खेती नष्ट की गई. पुलिस ने वहां कुल 21 केस दर्ज कर 25 लोगों को जेल भेजा है. वहीं चतरा में अफीम की खेती से जुड़े सर्वाधिक 41 केस दर्ज हुए, वहां पुलिस ने 24 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा. वहीं 829.50 एकड़ से अफीम की खेती नष्ट की गई.
लातेहार में 76.90 एकड़ भूमि से खेती नष्ट की गई, वहां कोई गिरफ्तारी नहीं हुई. रांची में पुलिस ने 83.87 एकड़ भूमि, पलामू से 17 एकड़, चाईबासा से 17.25 एकड़, सरायकेला में 30 एकड़, सिमडेगा में 11 डिसमिल और गिरिडीह में 8 डिसमिल क्षेत्र से अफीम की खेती पुलिस ने नष्ट की. अफीम के खिलाफ चलाए गए अभियान के दौरान इस साल पुलिस ने 76 केस दर्ज कर राज्य भर से 82 लोगों को जेल भेजा है.
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स्पीडी ट्रायल कराए जाने की संभावना
अधिकारियों के मुताबिक, एनडीपीएस के केस में अपराधियों को सजा दिलाने को लेकर सीआईडी मुख्यालय गंभीर है. सीआईडी मुख्यालय के स्तर पर हालिया कांडों की सूची तैयार की जा रही है. मामलों में तथ्यों के आधार पर दोषियों को सजा दिलाने के लिए स्पीडी ट्रायल भी कराया जा सकता है. एनडीपीएस के अधिकांश मामलों में तार बाहर के राज्यों से जुड़े हैं. मसलन अफीम की तस्करी के मामलों में नेटवर्क पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों के अलावा नेपाल से भी जुड़े रहे हैं. वहीं गांजा तस्करी के मामलों में ओड़िशा और छत्तीसगढ़ के गैंग की भूमिका सामने आयी है.