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झारखंड के 1000 बच्चों ने देखी रामोजी फिल्म सिटी, मुख्यमंत्री शैक्षणिक भ्रमण योजना से मिले अरमानों को पंख - study tour scheme

मुख्यमंत्री शैक्षणिक भ्रमण योजना के तहत सोमवार को झारखंड से करीब एक हजार बच्चे हैदराबाद स्थित रामोजी फिल्म सिटी पहुंचे. इस दौरान छात्र बेहद रोमांचित रहे. छात्रों में हैदराबाद शहर को घूमने की ललक के साथ ही कुछ नया सीखने का जुनून भी साफ दिखा.

रामोजी फिल्म सिटी की सैर करते बच्चे

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Published : Aug 12, 2019, 2:49 PM IST

Updated : Aug 13, 2019, 12:13 PM IST

हैदराबादः झारखंड के करीब एक हजार बच्चे शैक्षणिक भ्रमण पर हैदराबाद आए हैं. झारखंड के 24 जिलों के स्कूली बच्चे अपने घर से करीब डेढ़ हजार किलोमीटर दूर पहली बार आए हैं. इन नौनिहालों के आंखों में पलते सपनों और दिल में मचलते अरमानों को पंख दिए हैं झारखंड की रघुवर सरकार ने. दूरदराज के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ये बच्चे बेहद गरीब परिवार से हैं. इन बच्चों को मुख्यमंत्री शैक्षिक भ्रमण योजना के तहत रामोजी फिल्म सिटी घुमाया जा रहा है. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म सिटी देखने का रोमांच बच्चों के चेहरे पर नजर आया.

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मुख्यमंत्री शैक्षणिक भ्रमण योजना के तहत झारखंड के सरकारी स्कूल के बच्चों को हर साल दूसरे राज्यों में ले जाया जाता है. शिक्षकों का कहना है कि बच्चे दूसरे राज्यों की संस्कृति देखेंगे और समझेंगे तो इससे उनका बौद्धिक विकास होगा. इसके लिए बच्चों की स्कूलों में सौ फीसदी उपस्थिति, प्रतिभावान स्टूडेंट और कम साक्षरता दर वाली पंचायत को प्राथमिकता दी जाती है. हैदराबाद आए झारखंड के ये बच्चे रामोजी फिल्म सिटी से कई सुनहरी यादें समेट कर लौट रहे हैं. जिन्होंने यहां आने के लिए कभी सपने में भी नहीं सोचा था, उन्होंने अब सपनों के शहर को भी देख लिया.

बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए जरूरी
शैक्षणिक भ्रमण के नोडल पदाधिकारी कुलदीपक अग्रवाल ने कहा कि इस तरह के टूर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए फायदेमंद है. इन बच्चों के लिए शायद इतनी दूर आकर यहां की चीजों को देखना और रामोजी फिल्म सिटी को घूमना मुमकीन नहीं हो पाता.

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कुलदीपक अग्रवाल ने बताया कि बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए ये टूर बहुत बड़ा जरिया है. बच्चे इस शैक्षणिक भ्रमण के जरिए दूसरे राज्यों में जाकर वहीं की संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर और विरासत को देखकर समझते हैं. ऐसी योजनाएं बच्चों की शिक्षा के लिए बेहद जरूरी है.

झारखंड के देवघर से छात्रों के साथ आईं शिक्षिका इंदू तिवारी ने कहा कि रामोजी फिल्म सिटी को देखने के लिए बच्चे बेहद उत्साहित हैं. इनमें अधिकतर बच्चे सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों से ताल्लुख रखते हैं. इन बच्चों के लिए यह टूर एक सुनहरे पल जैसा है.

बच्चों में सीखने की ललक
धनबाद से हैदराबाद पहुंचे छात्र गोस्वामी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में होने की वजह से यहां बहुत कुछ नया जानने को मिला. छात्र ने कहा कि सालासर म्यूजियम में पुरातन काल की बहुत सी चीजों को देखा. रामोजी फिल्म सिटी के बारे में बहुत लोगों से सुना, लेकिन आज पहली बार घूमने का मौका मिला है.

सफर से पहले थे कई सवाल

छात्र आर्यन कुमार का कहना है कि जब हैदराबाद का सफर शुरू हुआ, तो मन में कई सवाल और जिज्ञासाएं थीं. हालांकि जब यहां आया तो बहुत कुछ देखा और सीखा. हैदराबाद में कई जगह घूमा और बहुत यादों को सहेजने के लिए कई तस्वीरें भी ली. छात्र ने कहा कि बस एक मलाल दिल में लिए हैदराबाद से जाना होगा कि हुसैन सागर झील के बीचो बीच बने स्टेच्यू तक नहीं जा पाए. यह पहली दफा है कि स्कूल से ऐसे टूर पर निकले हैं. हैदराबाद बहुत ही साफ और अच्छा शहर है.

बच्चों ने साझा किए अनुभव

कक्षा दसवीं की छात्रा ज्योति सिंह ने अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि रामोजी फिल्म सिटी को देखने के लिए बहुत उत्सुक थीं. उन्होंने कहा कि हैदराबाद के सालासर म्यूजियम में औरंगजेब कि तलवार देखने का मौका मिला. इसके साथ ही कई तरह की पोशाकों के बारे में भी इस म्यूजियम से जानकारी मिली. जिन चीजों के अभी तक किताबों में पढ़ा था आज उनको इतने करीब से देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि हैदराबाद से जाने से पहले यहां कि बिरयानी जरूर टेस्ट करेंगे.

झारखंड के घोर नक्सल प्रभावित जिले लातेहार से आई छात्रा सिमरन कुमारी ने बताया कि हैदराबाद आकर बहुत सी चीजों को देखा. इनमें हुसैनसागर झील, सालासर म्यूजिम, गोलकोंडा फोर्ट शामिल है. हैदराबाद शहर की सबसे अच्छी खासियत यहां की सफाई है.

भ्रमण के लिए कैसे चुने जाते हैं बच्चे
शिक्षिका डॉ इंदू तिवारी ने बताया कि मुख्यमंत्री शैक्षणिक भ्रमण योजना के तहत झारखंड के सरकारी स्कूल के बच्चों को हर साल दूसरे राज्यों में ले जाया जाता है. सबसे पहले सरकार की ओर से डीओ, डीएसई को एक पत्र भेजा जाता है, जिसके बाद हर स्कूल के लिए एक पत्र जारी किया जाता है. उन्होंने बताया कि चयन में 60-40 फीसदी का रेशियो रहता है. प्राथमिक मध्य विद्यालय 60 फीसदी और कक्षा 9 से 12 तक 40 फीसदी का अनुपात होता है. इसके लिए बच्चों की स्कूलों में सौ फीसदी उपस्थिति, प्रतिभावान स्टूडेंट और कम साक्षरता दर वाली पंचायत को प्राथमिकता दी जाती है. इसी आधार पर बच्चों का चयन किया जाता है.


रामोजी फिल्म सिटी

सपनों के शहर रामोजी फिल्म सिटी को 1996 में रामोजी ग्रुप द्वारा करीब 2000 एकड़ में बनाया गया है. यह उत्साह और अद्भुत आश्चर्य से भरा एक जादुई शहर है. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में इसे दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म सिटी के रूप में शामिल किया गया है. इसे उत्कृष्टता और नवाचार के लिए 2007 में गोल्डन पोनी पुरस्कार सहित कई अवॉर्ड मिल चुके हैं. फिल्म सिटी में हर साल करीब दस लाख पर्यटक आते हैं.

Last Updated : Aug 13, 2019, 12:13 PM IST

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