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इंटरनेशनल ब्रांड बन सकते हैं झारखंड के तसर, सहजन, रुगड़ा जैसे उत्पाद, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

झारखंड सरकार और केंद्र सरकार के बीच समन्वय स्थापित होने से ‘एक जिला- एक उत्पाद’ (ओडीओपी) योजना में राज्य पहला कदम बढ़ाएगा. इससे राज्य के तसर, लाह, सहजन, रुगड़ा, बंसकरील, मटर, टमाटर, वनौषधियों आदि की पहुंच अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक हो जाएगी.

One District One Product Scheme in jharkhand
राज्यसभा

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Published : Sep 20, 2020, 6:32 PM IST

रांची/दिल्लीःझारखंड की सरकार अगर केंद्र सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर ‘एक जिला- एक उत्पाद’ (ओडीओपी) योजना में दिलचस्पी दिखाएगी तो जल्दी ही झारखंड के तसर, लाह, सहजन, रुगड़ा, बंसकरील, मटर, टमाटर, वनौषधियों आदि की पहुंच अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक होगी.

झारखंड से राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने कहा है कि यह पहल झारखंड की समृद्धि और आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. यहां ग्रामीण-देशज उत्पादों के साथ-साथ कलाकृतियों में भी विविधता है. अगर सही तरीके से वैल्यू एडिशन और मार्केटिंग की जाय तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में झारखंड के उत्पादों को अलग पहचान और अच्छी कीमत मिल सकती है. राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार के अतारांकित प्रश्न का जवाब उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दिया. उन्होंने एक जिला-एक उत्पाद योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

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मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि एक जिला एक उत्‍पाद पहल के कार्यान्‍वयन पर विचार-विमर्श के लिए 27 अगस्‍त, 2020 को सभी राज्‍यों और संघ राज्‍य क्षेत्रों के साथ बातचीत की गई थी और उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्‍यापार विभाग (डीपीआईआईटी) इस पहल पर आगे कार्य कर रहा है. इसके अतिरिक्‍त, डीजीएफटी के माध्‍यम से वाणिज्‍य विभाग, एक जिला एक उत्‍पाद पहल को बढ़ावा देने के लिए राज्‍य और केंद्र सरकार की एजेंसियों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है.

प्रत्‍येक जिले को निर्यात हब में परिवर्तित करना उद्देश्य

जिले में निर्यात संभावना को बढ़ावा देने, विनिर्माण और सेवा उद्योग को प्रोत्‍साहित करने और जिले में रोजगार सृजन के लक्ष्‍य के साथ-साथ, इसका उद्देश्‍य जिले में निर्यात संभावना वाले उत्‍पादों की पहचान कर, इन उत्‍पादों के निर्यात में आने वाली बाधाओं को दूर करते हुए, स्‍थानीय निर्यातकों/विनिर्माताओं को बड़े पैमाने पर विनिर्माण में सहायता प्रदान करके और भारत से बाहर संभावित खरीददारों का पता लगाकर देश के प्रत्‍येक जिले को निर्यात हब के रूप में परिवर्तित करना है.

उन्होंने बताया कि जिला निर्यात संवर्धन समितियों (डीईपीसी) के रूप में प्रत्‍येक जिले में एक संस्‍थागत तंत्र स्‍थापित किया जा रहा है. डीईपीसी का प्रमुख कार्य केंद्र, राज्‍य और जिला स्‍तर के सभी संबद्ध हितधारकों के साथ समन्‍वय करते हुए जिला विशिष्‍ट निर्यात कार्य योजना तैयार करना और उस पर कार्रवाई करना होगा.

डीजीएफटी ने प्रत्‍येक जिले की निर्यात संभावना वाले उत्‍पादों से संबंधित सभी सूचनाएं अपलोड करने के लिए राज्‍य को सक्षम बनाने के लिए एक पोर्टल का भी विकास किया है. देश भर के विभिन्‍न जिलों में निर्यात क्षमता वाले उत्पादों की पहचान की जा रही है. इस आधार पर राज्‍य निर्यात कार्यनीतियां तैयार की जा रही है.

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