रांचीःकांके डैम फिल्ट्रेशन प्लांस से 23 अगस्त यानी मंगलवार की सुबह जलापूर्ति व्यवस्था ठप (Water Wupply System Stopped) रही. जल शोधन संस्थान में कार्यरत कर्मियों ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि बकाया वेतन का भुगतान नहीं करने पर काम ठप कर किया जाएगा. मंगलवार की सुबह कर्मचारी अपनी मांग पर अड़े रहे और काम ठप कर दिया.
कांके डैम फिल्ट्रेशन प्लांट से नहीं हुई वॉटर की सप्लाई, कर्मियों ने किया आंदोलन तो जागा प्रबंधन
मंगलवार को कांके डैम फिल्ट्रेशन प्लांट से कार्यरत कर्मियों ने कार्य बहिष्कार किया. इससे प्लांट से जलापूर्ति व्यवस्था ठप हो गई. इससे कांके, सीएमपीडीआई, गांधी नगर, मोरहाबादी सहित कई इलाकों में पानी के लिए हाहाकार मच गया. हालांकि, पेयजल आपूर्ति विभाग के कार्यपालक अभियंता अजय कुमार ने कर्मियों के साथ बैठक की. इसके बाद पेयलज आपूर्ति बहाल किया गया.
वाटर सप्लाई बंद होने से कांके, सीएमपीडीआई, गांधी नगर, मोरहाबादी सहित कई इलाकों में हाहाकार मच गया. आनन-फानन में पेयजल आपूर्ति विभाग के कार्यपालक अभियंता अजय कुमार फिल्ट्रेशन प्लांट पहुंचे और कर्मचारियों के साथ बैठक की. केमिस्ट संदीप कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि कार्यपालक अभियंता ने लिखित में बकाया भुगतान का आश्वासन दिया है. इसके बाद वाटर सप्लाई का काम शुरू कर दिया गया. उन्होंने कहा कि सुबह 5:00 से 10:00 बजे तक वाटर सप्लाई बंद थी. लेकिन 10:00 बजे फिर उसे चालू कर दिया गया. शाम को भी वाटर सप्लाई शुरू कर दिया गया है.
कार्यपालक अभियंता ने स्वीकार किया कि साल 2019 में अप्रैल से अगस्त तक कई कर्मचारियों का पैसा बकाया है. इसके अलावा जून 2019 से अगस्त 2019 तक सभी कर्मियों का पैसा बकाया है. बैठक के दौरान भरोसा दिलाया गया कि 2 माह के भीतर सभी बकाया का भुगतान कर दिया जाएगा. आश्वासन मिलने के बाद वाटर सप्लाई बहाल कर दी गई.
फिल्ट्रेशन प्लांट में कार्यरत कर्मी दासो उरांव ने बताया कि प्लांट में 27 कर्मचारी कार्यरत है. साल 2019 के अप्रैल माह तक नई आउटसोर्सिंग एजेंसी चयनित करनी थी. लेकिन एजेंसी चयनित नहीं की गई. इसके बाद कार्यरत कर्मियों को पेयजल स्वच्छता विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता ने आश्वासन दिया कि फिल्ट्रेशन प्लांट में पहले से सेवा दे रहे कर्मी अपना काम जारी रखें और नये चयनित एजेंसी की ओर से वेतन भुगतान किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अगस्त 2019 में एजेंसी चयनित की गई. लेकिन बकाया वेतन भुगतान नहीं किया गया. इसके बाद से लगातार मांग कर रहे हैं. लेकिन सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है. इससे परेशान होकर कार्य बहिष्कार किया.