झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / city

झारखंड में आयुष दवाओं के गुणवत्ता जांच के लिए कोई लैब नहीं, सालाना होता है करोड़ों का कारोबार

कोई भी अगर बीमार पड़ता है तो ये सोच कर दवा खाता है कि वह जांची परखी हुई है और वह उससे ठीक हो जाएगा. लेकिन झारखंड में आयुर्वेदिक दवा, होमियोपैथिक और यूनानी दवाओं की जांच के लिए कोई लैब नहीं है. ऐसे में इनकी दवा खाने से मरीज को कितना फायदा होगा इसकी गारंटी नहीं है.

no lab for quality check of ayush drugs in jharkhand
no lab for quality check of ayush drugs in jharkhand

By

Published : Mar 17, 2022, 7:06 PM IST

Updated : Mar 17, 2022, 7:39 PM IST

रांची: किसी भी बीमारी को दूर करने के लिए जितना जरूरी सही दवाओं का चुनाव करना होता है, उतना की अहम होता है दवाओं की गुणवत्ता का. दवाओं के स्टैंडर्ड क्या है इसकी जांच के लिए ड्रग टेस्टिंग लैब की जरूरत होती है. झारखंड में एलोपैथिक दवाओं की गुणवत्ता जांच के लिए रांची में स्टेट ड्रग्स टेस्टिंग लैब है. यहां दवा दुकान, अस्पताल से दवाओं के रैंडम सैंपल कलेक्शन के लिए औषधि निरीक्षकों की पूरी टीम भी है. लेकिन राज्य में आयुष यानि आयुर्वेदिक, होमियोपैथी और यूनानी दवाओं की गुणवत्ता जांच के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. कह सकते हैं कि बाजार से जो आयुष दवाई लेकर आप खाते हैं वह मानकों के अनुरूप है या नहीं इसकी जांच की कोई भी व्यवस्था अभी तक राज्य में नहीं है.


नियमानुसार राज्य में होना चाहिए आयुष ड्रग्स टेस्टिंग लैब:नियम के अनुसार जब भी सरकार कोई आयुष दवा की खरीद करेगी तो मरीजों तक पहुंचने से पहले उसकी गुणवत्ता जांच होगी. इसमें जो दावा दवा कंपनियों की ओर से किया गया है उस पर वह खरा उतरती है कि नहीं, इसके लिए राज्य में आयुष दवाओं की टेस्टिंग के लिए लैब होना चाहिए, लेकिन राज्य बनने के 21 साल बाद भी आयुष लैब झारखंड में नहीं बन सका है. आयुष निदेशक कहते है कि जरूरत पड़ने पर आयुष की दवाओं के सैंपल लेकर औषधि नियंत्रक (एलोपैथ) को ही भेजा जाता है. इसके बाद सैंपल दूसरे राज्य के लैब में भेजे जाते हैं जहां उसकी जांच होती है.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें:Jharkhand Ayush Department: डॉक्टर्स का टोटा, कुछ महीने या साल में चिकित्सक विहीन हो जाएगा विभाग


वहीं, नियमानुसार राज्य में एलोपैथिक दवाओं के सैंपल लेने के लिए जैसे ड्रग इंस्पेक्टर होते हैं वैसे ही आयुष दवाओं के लिए भी ड्रग इंस्पेक्टर होने चाहिए, लेकिन झारखंड में वे भी नहीं हैं. ऐसे में एलोपैथिक ड्रग इंस्पेक्टर शायद ही कभी आयुष यानि आयुर्वेदिक, यूनानी या होमियोपैथी दवाओं के सैंपल लेने निजी आयुष दुकानों में जाते हैं. आयुष निदेशालय के स्वास्थ्य अधिकारी दबी जुबां में कहते हैं कि डोरंडा में आयुष दवाओं के लिए टेस्टिंग लैब भवन भी बना, लेकिन जब उसमे लैब इक्विपमेंट लगाने की बारी आई तो वहां 104 कॉल सेंटर और 108 एंबुलेंस कॉल सेंटर खोलने का फरमान सुना दिया गया.

अब फिर से DPR हो रहा तैयार:राज्य निर्माण के 21 साल बाद फिर एक बार आयुष दवाइयों की गुणवत्ता जांच के लिए नए टेस्टिंग लैब भवन बनने की उम्मीद जगी है, नामकुम आयुष निदेशालय के बगल में ही सभी आधुनिक संसाधनों से संपन्न आयुष दवाओं के टेस्टिंग लैब भवन का DPR तैयार हो गया है. आयुष निदेशक डॉ फजलुस समी कहते हैं कि डीपीआर तैयार हो गया है, जल्द प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा ताकि राज्य में बिकने वाली या सरकार द्वारा खरीद होने वाली आयुष दवाओं की गुणवत्ता जांच राज्य में ही हो सके. राज्य में करोड़ों रुपये का कारोबार आयुष दवाओं का है ऐसे में राज्य में इसके टेस्टिंग का लैब बनने से घटिया और सबस्टैंडर्ड दवाओं के बाजार पर भी रोक लगाने में आसानी होगी.

Last Updated : Mar 17, 2022, 7:39 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details