रांचीःप्रदेश के गोड्डा संसदीय इलाके से एमपी निशिकांत दुबे की कथित फर्जी डिग्री का मामला चुनाव आयोग पहुंच गया है. इस बाबत सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त को एक पत्र भेजा है. जिसमें दुबे के नामांकन पत्र की गहन जांच और सदस्यता की वैधता पर विचार करने का निवेदन किया गया है. इस बाबत सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने दिल्ली स्थित भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा है. अपने पत्र में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि गोड्डा के मौजूदा सांसद ने 2009 में अपने नामांकन पत्र में अपनी उम्र सीमा 37 वर्ष अंकित की है.
एडीआर में दी गयी सांसद की डिटेल्स 10 साल में पास की दसवीं की परीक्षा इसके साथ ही शैक्षणिक योग्यता में उन्होंने बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड से 1982 में मैट्रिक पास करने का उल्लेख किया है. वहीं दावे के अनुसार दिल्ली यूनिवर्सिटी से मौजूदा सांसद ने एमबीए की परीक्षा 1993 में पास की है. भट्टाचार्य ने कहा कि 2009 में 37 साल की उम्र वाले निर्वाचित सांसद अपने दायर किए गए शैक्षणिक योग्यता के आधार पर 10 साल की आयु में ही मैट्रिक के परीक्षा पास कर जाते हैं.
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कुछ और कहते हैं दिल्ली यूनिवर्सिटी के दावे
वहीं, दूसरी तरफ दिल्ली विश्वविद्यालय और फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, दिल्ली यूनिवर्सिटी के डीन से मिली जानकारी के अनुसार 1993 में वहां निशिकांत दुबे नाम के किसी व्यक्ति ने ना तो दाखिला लिया और नहीं पास आउट हुए हैं. भट्टाचार्य ने कहा कि 2009 से लेकर 2019 तक 3 लोकसभा चुनाव में उनके नामांकन पत्र की गहन जांच और उनके सदस्यता के वैधता पर विचार किया जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नामांकन पत्र के अनुसार 37 साल की उम्र होने के कारण गोड्डा सांसद का जन्म 1972 के किसी महीने में हुआ होगा. उसकी भी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए. भट्टाचार्य ने कटाक्ष करते हुए कहा कि देश उस गौरवशाली प्रतिभा से भी अवगत होना चाहता है जिसने 10 साल की आयु में ही मैट्रिक के परीक्षा पास कर ली.
डिग्री के अलावा जमीन खरीद मामले में भी निशाने पर हैं दुबे
बता दें कि झामुमो ने पिछले दिनों गोड्डा सांसद पर कथित तौर पर फर्जी डिग्री रखने का आरोप लगाया था. इतना ही नहीं पिछले दिनों गोड्डा सांसद के ऊपर कथित तौर पर कम मूल्य देकर जमीन खरीदने का भी आरोप लगा है, हालांकि इस बाबत सांसद का कहना है कि आरटीआई से उनकी बिक्री के संबंध में जिस व्यक्ति ने जानकारी मांगी है वह आरटीआई ही फर्जी है.