रांची: एनआईए ने भाकपा माओवादियों के सैक सदस्य सुनील मांझी को रिमांड पर लेकर गुरुवार को पूछताछ की. सुनील मांझी गिरिडीह के मधुबन, पारसनाथ के इलाके में लंबे समय से सक्रिय रहा था. ऐसे में एनआईए ने वहां के नक्सल नेटवर्क और लेवी की राशि के उगाही के संबंध में जानकारी दी.
मिली कई अहम जानकारी
सुनील ने सड़क निर्माण में लगी कंपनियों से लेवी वसूलकर भाकपा माओवादी संगठन तक इसे पहुंचाने वाले लोगों के विषय में जानकारी दी है. वहीं, पारसनाथ में कोठियों के संचालकों और क्रशर व्यवसायियों से भी लेवी वसूली की जानकारी सुनील ने दी है. बता दें कि माओवादियों के टेरर फंडिंग के केस में एनआईए ने सुनील मांझी को गिरफ्तार किया था. सुनील से चार दिन की रिमांड पर एनआईए पूछताछ कर रही है.
NIA ने 25 लाख के इनामी सुनील मांझी से की पूछताछ, लेवी वसूली को लेकर हुए कई खुलासे - रांची में टेरर फंडिंग मामला
भाकपा माओवादियों के सैक सदस्य सुनील मांझी को रिमांड पर लेकर एनआईए ने पूछताछ की है. बता दें कि लेवी वसूली को लेकर कई खुलासे हुए हैं. ऐसे में एनआईए ने वहां के नक्सल नेटवर्क और लेवी की राशि के उगाही के संबंध में जानकारी दी.
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बुधवार को हुई थी गिरफ्तारी
भाकपा माओवादियों से जुड़े टेरर फंडिंग केस में एनआईए ने 25 लाख के इनामी झारखंड-बिहार स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य सुनील मांझी उर्फ सुनील सोरेन को बुधवार को गिरफ्तार किया था. गिरिडीह के मुधबन के लहरबेड़ा निवासी सुनील मांझी के खिलाफ झारखंड और बिहार में कई नक्सली वारदातों को अंजाम देने का आरोप है.
विकास योजनाओं से करोड़ों की वसूली
एनआईए ने अपनी जांच में पाया है कि सुनील मांझी गिरिडीह के पारसनाथ एरिया में सक्रिय रहा था. उस इलाके में होने वाली विकास योजनाओं से सुनील ने करोड़ों की वसूली की, जिसका इस्तेमाल नक्सल संगठन से जुड़ी गतिविधियों में किया गया.
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कैसे खुला था मामला
गिरिडीह पुलिस ने 22 जनवरी 2018 को अकबकीटांड़ से मनोज कुमार को गिरफ्तार किया था. माओवादी समर्थक मनोज के पास से पुलिस ने छह लाख रुपए बरामद किए थे. जांच में यह बात सामने आई थी कि आरके कंस्ट्रक्शन के लिए काम करने वाला मनोज दूसरे कंस्ट्रक्शन कंपनियों से भी पैसे वसूली कर माओवादी संगठन तक पहुंचाता था. तब इस मामले में डुमरी थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी. बाद में 22 जुलाई 2018 को इस केस को एनआईए ने टेकओवर किया था. बीते महीने एनआईए ने इस मामले में रांची स्थित आरके कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठिकानें पर छापेमारी की थी.